पहलगाम: 'आंख खुली तो लाशों के बीच पड़ा था'..., हमले में जिंदा बचे शख्स ने बताए जिंदगी के सबसे मुश्किल 5 मिनट
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में बाल-बाल बचे मुंबई के सुबोध पाटिल ने शुक्रवार को बताया कि वह आतंकियों की गोली से घायल हो गए थे और खच्चर वालों ने सबसे पहले उनकी मदद की थी।

मुंबई (आरएनआई) पहलगाम आतंकी हमले में आतंकियों की गोली से घायल सुबोध पाटिल पहलगाम स्थित सेना अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं। 60 वर्षीय पाटिल ने हमले के दिन की कहानी सुनाते हुए बताया कि आतंकियों ने सभी हिंदू पर्यटकों को एक पंक्ति में खड़े होने को कहा था। उनमें से कुछ ने विनती की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जिसने भी विरोध करने की कोशिश की, उसे गोली मार दी गई। एक गोली मेरे गले को छूती हुई निकल गई, जिससे मैं घायल हो गया था।
22 अप्रैल की खौफनाक घटना को याद करते हुए पाटिल भावुक हो गए और हमले के बाद घायलों की मदद करने वाले पोनी सवारी संचालकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि गर्दन में गोली लगने के कारण वह बेहोश हो गए थे। होश आया तो मेरे आसपास कई लाशें पड़ी थीं। खच्चर सवारी करने वाले कुछ लोगों ने उन्हें पानी पिलाया। हमने जिस पोनी की सवारी करने वाले को किराये पर लिया था, वह भी उनमें से एक था।
उसने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, वह सुरक्षित हैं। पाटिल ने कहा कि एक अन्य व्यक्ति ने उन्हें खड़े होने में मदद की, सहारा देने के लिए अपना कंधा दिया और पूछा कि क्या वह चल सकते हैं। उन्होंने बताया कि वे लोग उनसे लगातार कहते रहे कि डरो मत। वे उन्हें परिसर के बाहर ले गए और बैठने के लिए एक खाट दी। कुछ देर बाद वे एक वाहन लेकर आए और उन्हें भारतीय सेना के चिकित्सा केंद्र ले गए। वहां से उन्हें हेलिकॉप्टर से ले जाया गया और सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पाटिल ने हमले के बारे में बताया कि आतंकवादियों ने सभी हिंदू पर्यटकों को एक कतार में खड़े होने को कहा। उन्होंने बताया कि कतार में खड़े गए पर्यटकों ने आतंकवादियों से रहम की गुहार लगाई लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। और जिसने भी विरोध करने की कोशिश की, उसे तुरंत गोली मार दी गई।
पाटिल ने निकटवर्ती न्यू पनवेल टाउनशिप के निवासी देसले को भी याद किया, जो उस दिन हमले में महाराष्ट्र के मारे गए छह पर्यटकों में से एक थे। उन्होंने कहा, हम दोनों एक साथ घटनास्थल पर पहुंचे थे। पाटिल ने बताया कि देसाले ने रोपवे की सवारी का विकल्प चुना और पत्नी के साथ पारंपरिक कश्मीरी पोशाक में तस्वीरें भी खिंचवाईं। पाटिल ने कहा, सब कुछ पांच मिनट में हुआ लेकिन वह उन पांच मिनट को कभी नहीं भूल पाएंगे।
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