'भारत-नेपाल के प्रधानमंत्रियों को साथ बैठकर मुद्दे सुलझाने चाहिए', पूर्व नेपाली PM भट्टाराई

नेपाल के पूर्व प्रधामंत्री बाबूराम भट्टाराई ने भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों को लंबित मुद्दों को साथ बैठकर बातचीत से सुलझाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक भारत के साथ नेपाल के संबंध अच्छे नहीं होंगे, तब तक नेपाल का समृद्ध होना मुश्किल है। 

Apr 29, 2025 - 04:00
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'भारत-नेपाल के प्रधानमंत्रियों को साथ बैठकर मुद्दे सुलझाने चाहिए', पूर्व नेपाली PM भट्टाराई

नई दिल्ली (आरएनआई) नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने सोमवार को भारत और नेपाल के बीच पुराने और मजबूत रिश्तों पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों को मिलकर लंबित मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहिए। 

भट्टाराई ने दिल्ली में पत्रकारों से बात की। इस दौरान भट्टाराई ने बताया कि उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उनके साथ संक्षिप्त चर्चा की। उन्होंने नेपाल में चल रही राजनीति और सांविधानिक लोकतंत्र के निर्माण के लिए हुई क्रांति के बारे में भी बात की। भट्टाराई ने कहा, 'नेपाल में जो राजनीतिक अस्थिरता है, वह एक अधूरी क्रांति और लंबे समय से चले आ रहे बदलावों का नतीजा है।'

भट्टाराई ने भारत-नेपाल संबंधों पर दोनों पड़ोसियों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत सबसे अच्छा तरीका है। इस दौरान उन्होंने कालापानी मुद्दे जैसे सीमा विवादों और पिछले एक सदी से चली आर रही अन्य समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने 1816 की 'सुगौली संधि' और 1950 की 'शांति और मैत्री संधि' का हवाला देते हुए कहा कि इन्हीं ऐतिहासिक दस्तावेजों से कई समस्याएं जुड़ी हैं।

भट्टराई ने कहा कि जब तक भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध नहीं होंगे, खासकर आर्थिक सहयोग में। तब नेपाल के लिए कम समय में समृद्ध होना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमियों के चलते जिन मुद्दों को हम हल नहीं कर पाए हैं। उन पर गहन चर्चा करने की जरूरत है। भट्टराई ने कहा, 'अब समय आ गया है कि हमारे दोनों प्रधानमंत्री आपस में मिलें और इतिहास द्वारा छोड़ी गई समस्याओं का समाधान करें, तथा भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ कार्य संबंध हों।'

भट्टराई ने भारत को एक 'उभरती हुई क्षेत्रीय शक्ति' बताया। साथ ही कहा कि नेपाल पिछड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के बीच अच्छी समझ की जरूरत है। इतिहास द्वारा छोड़ी गई जो भी समस्याएं हैं, उन्हें बातचीत के जरिए हल करने की जरूरत है।

भट्टाराई से चीन-नेपाल संबंधों के बारे में सवाल पूछा गया। इस दौरान उन्होंने जवाब में कहा कि नेपाल को कभी भी भारत के खिलाफ कार्ड के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम ऐतिहासिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से सबसे करीबी पड़ोसी हैं। लेकिन, दोनों सरकारों द्वारा अपनाई गई कुछ गलतफहमियों के कारण, हमारे संबंध कुछ समय से तनावपूर्ण हैं। इसलिए, मैं चाहता हूं कि ये तनावपूर्ण संबंध सुलझाए जाएं और दोनों देश एक साथ समृद्ध हो सकें।'

भट्टाराई ने कहा कि नेपाल को भारत से निवेश की जरूरत है। खासकर पर्यटन, औद्योगिक, स्वास्थ्य और आईटी क्षेत्रों में। उन्होंने नेपाल के भविष्य के रोडमैप पर भी बात की। भट्टाराई ने कहा कि नेपाल राजशाही को खत्म करने और लोकतंत्र के रास्ते पर चलने में देर कर चुका है।

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