'विशेष कानूनों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए स्थापित करनी होंगी अदालतें' सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वे कानून लागू होने के बाद विशेष कानूनों के न्यायिक प्रभाव का आकलन क्यों नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि मामलों के शीघ्र निपटान के लिए पर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्यों के लिए विशेष कानूनों के तहत मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए अदालतें स्थापित करना अनिवार्य है। शीर्ष अदालत ने केंद्र व राज्यों से इस पर दो सप्ताह में उनका पक्ष मांगा है।
जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के एक नक्सल समर्थक की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। राज्य में हुए विस्फोट में त्वरित प्रतिक्रिया दल के 15 पुलिसकर्मियों के मारे जाने के बाद उस पर मामला दर्ज किया गया था। देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजकुमार भास्कर ठाकरे ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से दायर हलफनामे का हवाला दिया। पीठ ने 9 मई के आदेश में कहा, हालांकि हमारा मानना है कि जब विशेष कानूनों के तहत मुकदमे होने हैं, तो केंद्र या राज्यों के लिए यह जरूरी है कि वे कानून के विधायी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के पर्याप्त बुनियादी ढांचे के साथ विशेष अदालतें स्थापित करें। पीठ ने एएसजी ठाकरे को मामले पर निर्देश प्राप्त करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया। पीठ ने अगली सुनवाई 23 मई को तय की है। ठाकरे ने कहा कि विशेष अदालतों की स्थापना का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है और इस पर विचार किया जा रहा है। लेकिन जस्टिस कांत ने पूछा कि राज्य सरकार संवेदनशील मामलों - जैसे कि वर्तमान मामला - पर निर्णय करने के लिए विशेष अदालत क्यों नहीं उपलब्ध करा रही है, जिसके महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं।
पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वे कानून लागू होने के बाद विशेष कानूनों के न्यायिक प्रभाव का आकलन क्यों नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि मामलों के शीघ्र निपटान के लिए पर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। जस्टिस कांत ने कहा, हम बार-बार कह रहे हैं कि जज और अदालतें कहां हैं? यदि आप मौजूदा जजों पर विशेष कानूनों के अतिरिक्त मामलों का बोझ डालते हैं तो आप गंभीर मामलों में तेजी से सुनवाई कैसे कर सकते हैं? मेरा मन बहुत स्पष्ट है कि यदि आप विशेष कानूनों के तहत मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो पहले पर्याप्त न्यायिक बुनियादी ढांचा बनाएं और जजों की नियुक्ति करें।
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