स्वदेशी मिसाइल MIGM का सफल परीक्षण, रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ और नौसेना को दी बधाई
भारत ने आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई एक उन्नत अंडरवाटर नेवल माइन का सफल परीक्षण किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर इस सफलता के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को बधाई दी।

नई दिल्ली (आरएनआई) पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच भारतीय नौसेना और डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने सोमवार को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (एमआईजीएम) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह प्रणाली भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमताओं को और बढ़ाएगी। मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और नौसेना को बधाई दी है।
यह आधुनिक समुद्री बारूदी सुरंग है। जिसे नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला विशाखापत्तनम द्वारा डीआरडीओ समेत कई प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया गया है। एमआईजीएम को आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, विशाखापत्तनम और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड, हैदराबाद मिलकर इस प्रणाली का उत्पादन करेंगे।
मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन(MIGM) एक प्रकार की आधुनिक समुद्री बारूदी सुरंग है, जो विभिन्न प्रकार के खतरों को भांपकर जहाजों या पनडुब्बियों को निशाना बनाती है। यह पारंपरिक बारूदी सुरंगों से अधिक उन्नत होती है, क्योंकि यह एक साथ कई सेंसरों और ट्रिगर मैकेनिज्म का उपयोग करती है, जिससे इसे निष्क्रिय करना या बचना मुश्किल हो जाता है।
ये बारूदी सुंरग डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग और प्रोग्रामेबल लॉजिक का उपयोग करती हैं, जिससे वे विशिष्ट लक्ष्यों को पहचानने में सक्षम होती हैं।
इन्हें समुद्र तल पर, पानी में तैरते हुए, या आंशिक रूप से दबाकर तैनात किया जा सकता है।
ये कम गहराई वाले तटीय क्षेत्रों से लेकर गहरे समुद्र तक प्रभावी होती हैं।
इनका डिजाइन ऐसा होता है कि इन्हें रडार, सोनार, या अन्य डिटेक्शन सिस्टम से आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बधाई संदेश में कहा, एमआईजीएण का सफल परीक्षण भारत की रक्षा अनुसंधान और स्वदेशी तकनीक में बढ़ती ताकत का प्रतीक है। डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के संयुक्त प्रयासों ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को संभव बनाया है। यह 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम है।
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