केंद्र ने कोर्ट में पूर्व पीएम राव और मनमोहन सिंह की तारीफ की

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ को सूचित किया कि राव और सिंह द्वारा पेश किए गए आर्थिक सुधारों ने कंपनी कानून और व्यापार व्यवहार अधिनियम एमआरटीपी सहित कई कानूनों को उदार बनाया है।

Apr 18, 2024 - 08:16
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केंद्र ने कोर्ट में पूर्व पीएम राव और मनमोहन सिंह की तारीफ की

नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की। उसने सन् 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत करने के लिए राव और सिंह की सराहना की। अदालत में सरकार ने कहा कि इस कदम से प्रभावी रूप लाइसेंस राज का युग समाप्त हो गया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ को सूचित किया कि राव और सिंह द्वारा पेश किए गए आर्थिक सुधारों ने कंपनी कानून और व्यापार व्यवहार अधिनियम एमआरटीपी सहित कई कानूनों को उदार बनाया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अगले तीन दशकों में बाद की सरकारों ने उद्योग अधिनियम, 1951 में संशोधन की आवश्यकता नहीं समझी।

तुषार मेहता पीठ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। पीठ ने आईडीआरए- 1951 की आलोचना करते हुए इसे पुरातनपंथी और 'लाइसेंस राज' युग बताया। इस पर मेहता ने जोर देकर कहा कि आर्थिक सुधारों के जरिए लाई गई बदलाव की बयार के बावजूद आईडीआरए अछूता रहा, जिससे केंद्र का विभिन्न उद्योगों पर नियंत्रण बरकरार रहा। समय बीतने के साथ, केंद्र सरकार ने उनमें से अधिकांश को रेगुलेट करना छोड़ दिया। उन्होंने कहा, लेकिन केंद्र की तरफ से उद्योगों पर नियंत्रण छोड़ने का मतलब यह नहीं है कि उसके पास उन्हें रेगुलेट करने की शक्ति नहीं है।

सन 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार संकट का सामना करते हुए नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने तीन परिवर्तनकारी आर्थिक सुधार पेश किए, जो निम्न हैं।

राष्ट्रीय हित में और कोविड-19 महामारी जैसे हालातों में केंद्र की तरफ से इस नियामक नियंत्रण को बरकरार रखा गया था। मेहता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के पास औद्योगिक अल्कोहल को रेगुलेट करने और इसके अधिकांश हिस्से को कोविड के दौरान हैंड सैनिटाइजर बनाने के लिए उपयोग करने का निर्देश देने की शक्ति नहीं होती तो संकट खड़ा हो जाता है।। उन्होंने कहा कि केंद्र उद्योगों पर अपनी रेगुलेट करने की शक्ति बरकरार रखता है, वह इसका प्रयोग नहीं कर सकता है। यह उन स्थितियों से उत्पन्न होने वाली अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के लिए जो अभी विचार के दायरे में नहीं हैं।

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