अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति सम्मेलन में 9 देशों के साहित्यकार आये

हिन्दी बने विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा- डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैण्ड्स) हिन्दी को ग्लोबल भाषा बनाने के लिए विश्व स्तर पर नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है बेहद जरूरी - आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी 'शास्त्री' 31 भारतीय साहित्यकारों व कला साधकों को- 'इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार:2023' सम्मान

Jan 4, 2024 - 16:41
Jan 4, 2024 - 16:43
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अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति सम्मेलन में 9 देशों के साहित्यकार आये

हिन्दी भाषा आज विश्व के 136 देशों में बोली जाने वाली विश्व की तीसरी भाषा बन चुकी है,हमारा प्रयास है कि यह विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा बने क्योंकि इसका व्याकरण विश्व का सर्वोत्तम व्याकरण है।" अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विशेषज्ञ डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैण्ड्स) ने शहर के स्थानीय होटल मुकुन्द पैलेस के सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति केन्द्र, भारत (रजि.) तथा अखिलभारतीय ब्रज संस्कृति केन्द्र,मथुरा (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति सम्मेलन:2023 के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि स्वरूपेण अपने वक्तव्य में कहा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सेवी डॉ. हरि सिंह पाल (प्रधान संपादक-सौरभ पत्रिका,न्यूयार्क अमेरिका) सहित अन्य विद्वानों ने अपने वक्तव्यों में हिन्दी भाषा को ग्लोबल भाषा के रूप में स्थापित करने पर बल दिया।

सम्मेलन के संयोजक अकादमी पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी शास्त्री ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए रहस्योद्घाटन किया- "हिन्दी  को ग्लोबल भाषा बनाने के लिए विश्व स्तर पर हमें एकजुट होकर प्रयास करना है और इसके लिये नई पीढ़ी को इसके महत्व और उपयोगिता को समझाते हुए उन्हें जोड़ना भी बेहद जरूरी है।"

इससे पूर्व माँ शारदे की छवि पर अतिथियों ने माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत सम्मेलन का उद्घाटन किया तथा संस्था के पदाधिकारी डॉ. एस.एस. अग्रवाल,प्रद्युम्न यदुवंशी,प्रभाकांत सक्सेना,ऋतुराज यदुवंशी,ललिता यदुवंशी ने उत्तरीय पहनाते हुए तिलक लगाकर अतिथियों का स्वागत किया।

तदोपरांत 'विश्व क्षितिज पर हिन्दी के बढ़ते हुए कदम' विषयक संगोष्ठी प्रारम्भ हुई जिसमें आनंद गिरी गोस्वामी 'मायालु' (लुम्बनी-नेपाल), डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा (टोक्यो-जापान), . मदन लाल शर्मा (बर्गहिंगम,लन्दन), गोपाल बघेल 'मधु' (टोरेंटो,कनाडा), डॉ. नीलू गुप्ता (केलिफोर्निया,अमेरिका), डॉ. प्रमिला भार्गव,(टोरेंटो, कनाडा), डॉ. किरण लता वैद्य (ऑस्ट्रेलिया), छोटू प्रजापति (सऊदी अरब) ने हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता को अपने अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।

इसी क्रम में विश्व स्तरीय हिन्दी सेवी डॉ. हरि सिंह पाल (नई दिल्ली), प्रोफ़ेसर एस. पी. सिंह (बिहार), अवधेश कुमार सक्सेना 'अवधेश' (मध्यप्रदेश), धीरेन्द्र सिंह (देहरादून), दिनेश श्रीवास्तव (आजमगढ़), शिक्षाविद हीरा लाल पाण्डेय (नई दिल्ली), डॉ. ओमेन्द्र कुमार वर्मा (लखनऊ), रामेन्द्र कुमार शर्मा 'रवि' (आगरा), सपना बनर्जी (आजमगढ़) के साथ साथ स्थानीय विद्वान पत्रकार श्याम सुन्दर ओझा , चन्द्र प्रताप सिकरवार (समन्वयक- गीता शोध संस्थान, वृन्दावन), राकेश कुमार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार, भागवताचार्य . गोपाल प्रसाद उपाध्याय 'गोप', डॉ. हरिबाबू ओम, प्रोफ़ेसर डॉ. पल्लवी सिंह, प्रोफ़ेसर डॉ. नीतू गोस्वामी, डॉ. शैल कुमारी गौतम आदि ने हिन्दी के विश्व क्षितिज पर बढ़ते हुए कदम का साहित्यिक विश्लेषण प्रस्तुत किया।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद साहित्यकार डॉ. नटवर नागर ने कहा कि हिन्दी की शोभायात्रा भारत की सीमा-रेखा को पार करके विदेशी भूमि पर बड़े सम्मान के साथ आगे बढ़ रही है,अब हिन्दी केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेकानेक देशों में लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ लोगों की भाषा बन चुकी है।"

इस अवसर पर 9 देशों के अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यकारों सहित 31 विश्व स्तरीय साहित्यकारों कला साधकों को इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड:2023 से सम्मानित किया गया।

द्वितीय दिवस के सत्र में सम्मानित कला साधकों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया जिसके प्रारम्भ में सपना बनर्जी (आजमगढ़) ने अपने हिन्दी गीत,भजन और गजलों के सुमधुर गायन से वातावरण को संगीतमय बना दिया। इसी क्रम में सुप्रसिद्ध शहनाई वादक राजू बाबू साथियों ने एक ओर जहाँ शहनाई वादन कर श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी की धुन बजाई वहीं दूसरी ओर लोकगायक सुरेश वर्मा (आगरा) तथा डॉ. मुकेश वर्मा सोनी (जयपुर) ने ब्रजलोक गायन से सभी को तरंगित करते हुई थिरकने पर मजबूर कर दिया। नौटंकी गायक निर्देशक डॉ. अमित कुमार दीक्षित 'रामजी' (लखनऊ) और रंगकर्मी डॉ. ओमेन्द्र कुमार वर्मा ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से खूब वाहवाही लूटी।

त्रिदिवसीय सम्मेलन का समापन विश्व प्रसिद्ध महाकवि सूरदास की साधना स्थली परासौली (गोवर्धन) स्थित उनकी बैठक पर 'विश्व पटल पर सूर-तुलसी' विषयक साहित्यिक चर्चा काव्य-काव्य गोष्ठी और विदाई समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।

सभी सत्रों का संचालन डॉ. दीपक गोस्वामी ने  किया तथा सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए आचार्य डॉ. के. सी. यदुवंशी शास्त्री ने किया।

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