देश के अधिकांश भागों में मई में सामान्य से अधिक रहेगा पारा; उत्तर भारत में बारिश भी हर बार से ज्यादा
देश में अभी से गर्मी से बुरा हाल है। इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मई में मौसमी दशाओं को लेकर भविष्यवाणी की है। मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने मई को लेकर कहा कि इस महीने में देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस बार उत्तर भारत में बारिश भी सामान्य से अधिक होगी।

नई दिल्ली (आरएनआई) भारत के अधिकांश हिस्सों में मई में तापमान के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं बीच-बीच में आंधी-तूफान के चलते गर्मी के पिछले साल के उच्च स्तर तक नहीं पहुंचे का अनुमान है। साथ ही उत्तर भारत में बारिश सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है।
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बुधवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के गंगा के तटवर्ती इलाकों में लू वाले दिनों की संख्या सामान्य अधिक हो सकती है। यहां लू वाले दिन सामान्य दिनों की तुलना में एक से चार दिन अधिक रहने की उम्मीद है।
गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक के कुछ इलाकों में भी सामान्य से अधिक गर्म हवाएं चलने की संभावना है। आमतौर पर, दक्षिण-पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत को छोड़कर देश के विभिन्न हिस्सों में मई में एक से तीन दिन तक गर्म हवाएं चलती हैं।
महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। उत्तर भारत में बारिश सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है, जो 64.1 मिमी की लंबी अवधि के औसत से 109 प्रतिशत अधिक है। इस साल मई में लगातार और तीव्र आंधी-तूफान के कारण तापमान मई 2024 में देखे जाने वाले स्तर तक नहीं पहुंचने का अनुमान है।
अप्रैल में देश में लू चलने वाले 72 दिन दर्ज किए गए। राजस्थान और गुजरात में (6 से 11 दिन) और पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ में (4 से 6 दिन) सामान्य से अधिक लू वाले दिन दर्ज किए गए, जबकि आमतौर पर यहां ऐसे दो से तीन दिन होते हैं। पूर्व-मध्य भारत, महाराष्ट्र और उत्तरी प्रायद्वीपीय भारत के आसपास के हिस्सों में हीटवेव के एक से तीन दिन दर्ज किए गए, जो सामान्य से दो से तीन दिन कम हैं। अप्रैल में लू की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई। इससे पश्चिमी भारत सबसे अधिक प्रभावित हुआ था।
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