दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई, 8 घुसपैठियों को किया गिरफ्तार
दक्षिणी दिल्ली पुलिस और एसडब्ल्यूडी की संयुक्त टीम ने किशनगढ़ क्षेत्र से आठ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। इन पर 2012 में त्रिपुरा सीमा से भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने का आरोप है। पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाने वालों की तलाश शुरू कर दी है और एफआरआरओ के माध्यम से इन अवैध प्रवासियों को वापस बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया जारी है।

नई दिल्ली (आरएनआई) दक्षिणी परिसर थाना व एसडब्ल्यूडी की संयुक्त टीम ने किशनगढ़ क्षेत्र में परिवार के साथ रह रहे आठ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने वर्ष 2012 में त्रिपुरा की सीमा के पास से भारत में घुसपैठ की थी। ट्रेन के जरिए दिल्ली पहुंचे आरोपित किशनगढ़ क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में परिवार के साथ रहने लगे।
पुलिस से बचने के लिए आरोपितों ने भारतीय नागरिकता से संबंधित दस्तावेज भी बनवा लिए। विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के माध्यम से आरोपितों को वापस बांग्लादेश भेजा जा रहा है। वहीं फर्जी तरीके से भारतीय दस्तावेज बनाने वालों की भी तलाश पुलिस कर रही है।
दक्षिणी पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि 15 अप्रैल को सूचना मिली कि सत्य निकेतन मार्केट, नई दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिक हैं। इसके आधार पर टीम मौके पर पहुंची और एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा। उसकी पहचान बांग्लादेशी नागरिक रबीउल इस्लाम के रूप में हुई।
उसने बताया कि वह 2012 में त्रिपुरा सीमा के रास्ते भारत में घुसा था और तब से वह यहां दिल्ली में रह रहा है। वर्तमान में एच नंबर सी-4, महिला अपार्टमेंट बिल्डिंग, किशनगढ़, एमसीडी स्कूल के पास पत्नी सीमा और पांच साल के बेटे इब्राहिम के साथ रह रहा है। उसके पास आधार कार्ड भी मिला। उसकी निशानदेही पर पापिया खातून व सादिया सुल्ताना निवासी जिला सतखिरा एवं रिफत आरा मोयना निवासी जिला खुलना, बांग्लादेश से भी पूछताछ हुए।
सभी अलग-अलग समय से अवैध रूप से दिल्ली में रह रहे थे। आरोपितों के साथ एक वर्षीय सुहासिनी और सात वर्षीय आर्यन को भी वापस बांग्लादेश भेजा जा रहा है। 16 अप्रैल को सभी को वापस बांग्लादेश भेजने के लिए एफआरआरओ के समक्ष पेश किया गया। बांग्लादेश में आगे के निर्वासन के लिए निर्वासन केंद्र भेज दिया गया।
आरोपित रबीउल इस्लाम ने वर्ष 2012 में त्रिपुरा सीमा के रास्ते भारत में घुसपैठ की थी। वर्ष 2016 में वह बांग्लादेश लौट गया। वहां सीमा से शादी कर ली और फिर से पत्नी के साथ भारत में घुसपैठ की। वह पहले भी 2022 में बांग्लादेश में दर्ज मानव तस्करी के एक मामले में शामिल था। दिल्ली में वह हाउसकीपर और हाउस क्लीनर का काम करता है, जबकि पत्नी सीमा घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है।
पापिया खातून को उसके बांग्लादेशी पति ने छोड़ दिया था। वर्ष 2007 में घोजा डोंगा बार्डर के माध्यम से उसने भारत में घुसपैठ की। वह दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है और कटवारिया सराय में रहती है। उसने 2018 में उसने अपनी बेटी सादिया सुल्ताना को बांग्लादेश से बुलाया। तब से उसके साथ रह रही है और कटवरिया सराय में ही पार्लर का कोर्स कर रही है। उसने एक साल पहले एक बच्ची को गोद भी लिया। वहीं रिफत आरा मोयना ने 2023 में दलाल की मदद से बेनापोल सीमा से घुसपैठ की थी। तब से वह कटवारिया सराय में रह रही है।
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