1975 में इसी दिन हुई थी बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की हत्या

बांग्लादेश के कानून और न्याय मंत्री अनीसुल हक ने कहा, मेजर शरीफुल हक दलीम (हत्या के पीछे एक प्रमुख साजिशकर्ता) का ठिकाना अभी भी ज्ञात नहीं है, लेकिन हम जानते हैं कि कर्नल रशीद चौधरी अमेरिका में है और बंगबंधु की हत्या में शामिल तख्तापलट की साजिश रचने वालों में से एक नूर चौधरी कनाडा में है।हम अभी भी हत्यारे अधिकारी को वापस लाने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे हैं।

Aug 14, 2023 - 15:00
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1975 में इसी दिन हुई थी बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान की हत्या
बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान

बांग्लादेश उन दो भगोड़े सैन्य अधिकारियों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है जो 15 अगस्त, 1975 को देश के संस्थापक राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की उनके ढाका स्थित घर में गोली मारकर हत्या करने में शामिल थे।

बांग्लादेश के कानून और न्याय मंत्री अनीसुल हक ने समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि उनका देश शेख मुजीबुर्रहमान के दो हत्यारों, अमेरिका से राशेद चौधरी और कनाडा से एसएचबीएम नूर चौधरी की वापसी के लिए बातचीत कर रहा है। दोनों हत्यारों ने हत्या की बात खुद कबूल की है।
अनीसुल हक ने कहा, बांग्लादेश के कानून और न्याय मंत्री अनीसुल हक ने कहा, मेजर शरीफुल हक दलीम (हत्या के पीछे एक प्रमुख साजिशकर्ता) का ठिकाना अभी भी ज्ञात नहीं है, लेकिन हम जानते हैं कि कर्नल रशीद चौधरी अमेरिका में है और बंगबंधु की हत्या में शामिल तख्तापलट की साजिश रचने वालों में से एक नूर चौधरी कनाडा में है।हम अभी भी हत्यारे अधिकारी को वापस लाने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे हैं।
कनाडा में ऐसे कानून हैं जो अपने देश में मौत की सजा का सामना कर रहे किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने की अनुमति नहीं देते हैं और उन्हें बांग्लादेश लाने की प्रक्रिया में यह बाधा साबित हुआ है। मंत्री ने कहा, उन्होंने राष्ट्रपिता और उनके परिवार के 17 सदस्यों की हत्या कर दी। अपराध की जघन्य प्रकृति को देखते हुए हमने कनाडा को नूर चौधरी को वापस करने के लिए मनाने की कोशिश की है।
बता दें कि 28 साल पहले भारत के स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर उनके धानमंडी बंगले में शेख मुजीब और उनके पूरे परिवार की भीषण हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस घटना में उनकी दो बेटियां शेख हसीना और शेख रेहाना बच गई थीं, क्योंकि उस दौरान दोनों विदेश यात्रा पर थीं।
बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के लंदन से प्रशिक्षित वरिष्ठ वकील हक ने कहा, उन हत्यारों ने खुद हत्या की बात कबूल की है और उपलब्ध साक्ष्य उनके अपराध के बारे में निर्णायक हैं। 1975 में मध्यम स्तर के सेना अधिकारियों के एक समूह ने शेख मुजीब की चुनी हुई सरकार को गिराने और उसकी जगह एक सैन्य सरकार बनाने के लिए तख्तापलट की योजना बनाई थी। उन्होंने तख्तापलट करने के लिए भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को चुना था।
तख्तापलट की साजिश रचने वालों के नेतृत्व में सैनिकों के चार समूहों ने 15 अगस्त, 1975 की सुबह ढाका में प्रवेश किया। पहले समूह ने शेख मुजीब के घर में प्रवेश किया और एक बहस के बाद उनकी हत्या कर दी और फिर परिवार के सभी सदस्यों के साथ-साथ निजी कर्मचारियों की भी हत्या कर दी। जिसमें परिवार की गर्भवती बहू भी शामिल थीं। अन्य समूहों ने शहर के सावर में तैनात रेडियो स्टेशन, प्रमुख सरकारी इमारतों और निहत्थे सुरक्षा बलों पर कब्जा कर लिया था।
इसके अलावा अवामी लीग के चार नेताओं- बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री ताजुद्दीन अहमद, एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री मंसूर अली, पूर्व उपराष्ट्रपति सैयद नजरूल इस्लाम और पूर्व गृह मंत्री एएचएम कमरुज्जमां को भी गिरफ्तार किया गया था और ढाका जेल में बंद कर दिया गया था और बाद में जेल में उनकी हत्या कर दी गई थी। इसलिए बांग्लादेश 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाता है। हक ने कहा, हमने बंगबंधु के हत्यारों का पता लगाने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने की लगातार कोशिश की है।

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