लोस चुनाव से पहले संकट में नायब सैनी सरकार

लोकसभा चुनाव से 19 दिन पहले मंगलवार को एक बड़े नाटकीय घटनाक्रम में तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इनमें चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर शामिल हैं।

May 8, 2024 - 09:30
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लोस चुनाव से पहले संकट में नायब सैनी सरकार

चंडीगढ़ (आरएनआई) हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वे कांग्रेस के साथ आ गए हैं और नायब सैैनी सरकार संकट में। 

दरअसल भाजपा से नाराज तीनों निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापसी के पीछे विधानसभा चुनाव की टिकट है। तीनों ही विधायकों को इस बात का आभास हो गया था कि सरकार को समर्थन देने के बावूजद भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं देगी। इसलिए विधानसभा चुनाव में अपनी टिकट पक्की करने के लिए तीनों ने सरकार से बागी होते हुए कांग्रेस में अपनी टिकट पक्की करने की कोशिश की है।

साढ़े चार साल पहले जब मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा-जजपा की सरकार बनी तो निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह को मंत्री बनाया गया था, जबकि शेष 5 को अलग-अलग विभागों में चेयरमैन नियुक्त किया गया था। समय पूरा होने के बाद किसी निर्दलीय विधायक को सरकार ने दोबारा एडजेस्ट नहीं किया। जजजा से गठबंधन टूटने के बाद निर्दलीयों को आस जगी थी कि उनको मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन यहां भी भाजपा उनको गच्चा दे गई और निर्दलीय देखते रह गए। उस समय भाजपा ने निर्दली विधायकों को विधानसभा की टिकटों में एडजेस्ट करने की बात कही थी, लेकिन धीरे-धीरेे विधायकों को लगने लगा था कि भाजपा में उन्हें टिकट मिलना मुश्किल है। क्योंकि चरखी दादरी से पूर्व विधायक सतपाल सांगवान जजपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और सोमबीर सांगवान के सामने यह चुनौती बनकर आए हैं।

इसी प्रकार धर्मपाल गोंदर को भाजपा की टिकट इसलिए मुश्किल है, क्योंकि यहां से भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे और पूर्व विधायक भगवानदास कबीरपंथी दावेदार और मनोहर लाल के भरोसेमंद हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पूंडरी से विधायक रणधीर गोलन की है। यहां पर भाजपा के महामंत्री रहे एडवोकेट वेदपाल की दोबारा से नजर है। इसके अलावा दो माह पहले पूर्व विधायक दिनेश कौशिक की मनोहर लाल की अगुवाई में भाजपा ज्वाइनिंग ने गोलन की धड़कनें बढ़ा दी थीं। सरकार में कोई बड़ा पद नहीं मिलने और टिकट की आस टूटने से तीनों विधायकों ने अपनी विधानसभा की टिकट पक्की करने के लिए कांग्रेस की तरफ हाथ बढ़ा दिए हैं।

इनके अलावा जजपा के शाहाबाद से विधायक रामकरण काला और गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह के बेटे कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। आगामी चुनावों के समय इनके भी कांग्रेस में जाने का रास्ता साफ हो चुका है। इनके अलावा जजपा के बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग, टोहाना से देवेंद्र बबली, नारनौंद से रामकुमार गौतम और नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा खुलकर भाजपा प्रेम दिखा रहे हैं। इनको भी आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा से टिकट की आस है। दो निर्दलीयों की बात करें तो पृथला से विधायक नयन पाल रावत और बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद को भाजपा से विधानसभा टिकट की आस बंधी हुई है।

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