तीसरे लोकसभा चुनाव में एक सीट से दो सांसदों के चुनने की परंपरा हुई खत्म

इस चुनाव में पिछले दोनों चुनाव की तुलना में बड़ी संख्या में मतदाता अपने घरों से मतदान करने के लिए निकले थे। चुनाव में करीब 69 फीसदी मतदान हुआ था। इस तरह पिछले दोनों चुनाव से काफी अधिक मतदान हुआ था, लेकिन नेताओं ने चुनाव लड़ने में थोेड़ी कम रुचि ली थी।

Mar 29, 2024 - 06:46
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तीसरे लोकसभा चुनाव में एक सीट से दो सांसदों के चुनने की परंपरा हुई खत्म

नई दिल्ली (आरएनआई) 1962 में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव में दिल्ली के एक क्षेत्र में दो सांसदों के चुनने की परंपरा खत्म हो गई। इस चुनाव में बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का विभाजन कर दिया गया। करोल बाग नया क्षेत्र बनाया गया था और यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। इस चुनाव में दिल्ली में लोकसभा क्षेत्रों की संख्या चार से बढ़कर पांच हो गई थी और प्रत्येक क्षेत्र से एक-एक सांंसद चुने गए थे।

तीसरे चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस प्रत्याशी नवल प्रभाकर ने जीत की हैट्रिक भी लगाई। इससे पहले वह बाहरी दिल्ली क्षेत्र से अनुसूचित जाति श्रेणी से वर्ष 1952 व 1957 में चुनाव जीते थे। दूसरे आम चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस का दबदबा बना रहा। सभी पांचों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते। इसमें जनसंंघ के बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। पूरी ताकत से लड़ी जनसंघ पांचों सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। नई दिल्ली संसदीय सीट से उतरे जनसंघ के अध्यक्ष बलराज मधोक को करारी शिकस्त मिली। वह 32 हजार मतों से चुनाव हार गए थे। चांदनी चौक से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कद्दावर नेता भाई महावीर 24 हजार मतों से हार गए। बाद में वाजपेयी सरकार में भाई महावीर को राज्यपाल बनाया

इस चुनाव में पिछले दोनों चुनाव की तुलना में बड़ी संख्या में मतदाता अपने घरों से मतदान करने के लिए निकले थे। चुनाव में करीब 69 फीसदी मतदान हुआ था। इस तरह पिछले दोनों चुनाव से काफी अधिक मतदान हुआ था, लेकिन नेताओं ने चुनाव लड़ने में थोेड़ी कम रुचि ली थी। इस चुनाव में वर्ष 1957 की अपेेक्षा कम नेताओं ने चुनाव लड़ा था। इस दौरान 28 नेताओं ने राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था। लिहाजा पिछले चुनाव से दो नेता कम चुनाव लड़ेे।

दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौ. ब्रह्मप्रकाश तीसरे चुनाव में अपना चुनाव क्षेत्र बदल लिया था। वह इस चुनाव में बाहरी दिल्ली से चुनाव लड़े थे। बाहरी दिल्ली क्षेत्र उनका पैतृक क्षेत्र था। उनका गांव शकूरपुर इसी क्षेत्र का हिस्सा था। जबकि वर्ष 1957 में उन्होंने दिल्ली सदर क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। वह दूसरे चुनाव की तरह तीसरी बाद भी जीतने में कामयाब हुए थे।

तीसरे चुनाव में 28 उम्मीदवारों में 16 उम्मीदवारों की जमानत जब्त होे गई थी। इस तरह 12 उम्मीदवारों की जमानत बची थी। इन 12 उम्मीदवारों में जीते हुए उम्मीदवारों के साथ-साथ दूसरे स्थान पर रहेे उम्मीदवार शामिल थे। इसके अलावा चांदनी चौक क्षेत्र व दिल्ली सदर में तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार भी जमानत बचाने में कामयाब हो गए थे।

क्षेत्र             जीते                  दल
नई दिल्ली   मीर चंद खन्ना     कांग्रेस
चांदनी चौक  श्याम नाथ          कांग्रेस
दिल्ली सदर  शिव चरण गुप्ता    कांग्रेस
करोल बाग    नवल प्रभाकर         कांग्रेस
बाहरी दिल्ली      चौ. ब्रह्मप्रकाश  कांग्रेस

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