'अगर ट्रंप से चर्चा हुई थी तो सरकार को बताना होगा', DMK नेता ने केंद्र सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम की जानकारी सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर साझा किया था। जिसके बाद से देश में तमाम सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसकी मध्यस्थता अमेरिका ने कराई है। इस मामले में डीएमके ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।

चेन्नई (आरएनआई) जैसे-जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की ओर कदम बढ़ रहे हैं, डीएमके के वरिष्ठ नेता टी.के.एस. एलंगोवन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित मध्यस्थता की कोशिशों का स्वागत किया है। उन्होंने इसे "एक अच्छा कदम" बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि ट्रंप से क्या बातचीत हुई थी।
डीएमके नेता ने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान, दोनों सरकारों से युद्ध रोकने के लिए बात की है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोमवार रात के भाषण में इसका कोई जिक्र नहीं किया। अगर ट्रंप ने भारत सरकार से चर्चा की है, तो उसे जनता के सामने लाना चाहिए।'
डीएमके नेता ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद का कोई स्थान सभ्य समाज में नहीं है। इसे पूरी तरह से खत्म करना चाहिए और आतंकवादियों को सजा मिलनी चाहिए। इसीलिए हमारे नेता ने भारत सरकार के कदमों का समर्थन किया है।' एलंगोवन ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (सेना के वरिष्ठ अधिकारियों) के बीच जो बातचीत हुई है, उसकी जानकारी भी सार्वजनिक होनी चाहिए। 'लोगों को यह जानने का अधिकार है कि दोनों सेनाओं के बीच किस आधार पर बातचीत हुई'।
सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि 'आतंक और वार्ता' और 'आतंक और व्यापार' एक साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की एयर स्ट्राइक के बाद अब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को और भी सख्त किया है। पीएम मोदी ने कहा, 'अगर पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत होगी, तो वो सिर्फ आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को खाली कराने पर होगी।'
टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि डीएमके आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार के हर कदम के साथ है। उन्होंने कहा, 'सरकार ने आतंकियों के सफाए के लिए जो कदम उठाए हैं, हम उसकी सराहना करते हैं और सरकार के साथ खड़े हैं। लेकिन साथ ही, जनता को यह जानने का भी अधिकार है कि ट्रंप से क्या चर्चा हुई और भारत-पाक डीजीएमओ की बातचीत की बुनियाद क्या थी।'
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