धर्म परिवर्तन अधिनियम से संबंधित याचिका में मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक वाक्यों को हटाया जाए

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के वकील को मुख्य न्यायाधीश का निर्देश, मुख्य न्यायाधीश ने जमीयत के वकील कपिल सिब्बल को विभिन्न हाईकोर्ट्स के मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने से संबंधित याचिका दायर करने की अनुमति दी

Jan 17, 2023 - 04:12
Jan 17, 2023 - 04:13
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नई दिल्ली, 16 जनवरी। आज सुप्रीम कोर्ट में लव जिहाद के तथाकथित विवाद पर कई राज्यों द्वारा पारित “धर्म परिवर्तन अधिनियम“ से संबंधित एक दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने सभी पहलुओं की समीक्षा की।
इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए, जबकि जमीयत के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एमआर शमशाद और नियाज अहमद फारूकी भी मौजूद थे। न्यायालय में जहां अश्वनी उपाध्याय की याचिका में मुसलमानों और ईसाइयों से संबंधित आपत्तिजनक बातों का मुद्दा उठाया गया, वहीं विभिन्न उच्च न्यायालयों में इससे संबंधित विचाराधीन मामलों को इकट्ठा कर के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर भी विचार हुआ।
जामीयत उलेमा-ए-हिंद इस मामले में गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2003 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही उपस्थित है। जामीयत के अनुरोध पर गुजरात हाई कोर्ट ने इस कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जीमयत ने सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनकर सरकार की याचिका का विरोध किया। इसलिए राज्य सरकार को तत्काल स्टे नहीं मिल सका।
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि चूंकि यह मामला विभिन्न अदालतों में लंबित है, इसलिए कानून की मेरिट पर बहस नहीं की जा सकती है। जिसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोडे जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत दे दी है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि जमीयत की तरफ से एक याचिका दायर की जाएगी कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मामलों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए। हालांकि अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया आर वेंकटरमणी, जिनसे गत सप्ताह न्यायमूर्ति शाह की पीठ ने कानून को समझने के मामले में मदद मांगी थी, ने सुझाव दिया कि यह उचित होगा कि उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई करें। क्योंकि विभिन्न कानूनों की वैधता को चुनौती दी जा रही है। इसका जवाब देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इन सभी कानूनों में एक जैसे प्रावधान हैं, इसलिए एक जगह ही बहस हो जाए तो काफी है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की इस याचिका पर कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने ईसाईयों और मुसलमानों पर संदेह व्यक्त करते हुए ‘‘आपत्तिजनक और चौंका देने वाले’’ वाक्यों को शामिल किया है, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कृपया उनको हटा दें। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह, संजय हेगड़े, इंदिरा जयसिंह, वृंदा ग्रोवर भी विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी।

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Ashhar Hashimi Urdu Journalist, Columnist, Poet, Fiction Writer, Author, Translator, Critic, Political Analyst-Commentator and Social Activist | Worked as Editor for UNI Urdu, Azad Hind (Kolkata), Qaumi Awaz (Delhi), Aalami Urdu Service and Urdu Daily Qasid
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