मैक्युलर डीजेनेरेशन जानते है डॉ सुमित्रा से - भाग ८

Jun 7, 2023 - 23:45
 0  351
मैक्युलर डीजेनेरेशन जानते है डॉ सुमित्रा से - भाग ८

आपके भेजे हुए सवालो का जवाब आज के अंक में है।  
कृष्णा अयोध्या से, कुमकुम गुना से, मुन्नी धार से, जगत नर्सिंघ्पुर से और कौशल्या पाली से ये पूछ रहे है की नार्मल चश्मे से रोज मर्रा के काम में बाधा आ रही है , किसी को गाड़ी चलाने में , किसी को किताब पढ़ने में , किसी को अख़बार पढ़ने मे---।  कुल मिला कर प्रश्न एक ही है की देखने में दिक्कत है और चश्मे से समाधान नहीं हो रहा है तो क्या उपाय किये जा सकते है?

मैक्युलर डीजेनेरेशन में सेंट्रल विज़न से सम्बंधित समस्या आती है और धीरे धीरे काफी बढ़ जाती है ऐसे में बिच की चीजों पर काला धब्बा दीखता है और देखने में दिक्कत बराबर बनी रहती है। मैक्युलर डीजेनेरेशन रोगियों के लिए विभिन्न प्रकार के चश्मे उपलब्ध हैं - 

१। बाइफोकल चश्मा - ये आम तोर पर उम्र के साथ लगाए जाने वाला चश्मा होता है।  बिफोकल चश्मा दूरी और निकट दृष्टि में सुधार करने में मदद कर सकता है क्योंकि लेंस विभिन्न वर्गों में क्षैतिज रूप से विभाजित होते हैं। निचला खंड लोगों को पढ़ने के लिए देखने की अनुमति देता है, जबकि शीर्ष खंड दूर दृष्टि में सुधार करता है। ये सुरुवाती मैक्युलर डीजेनेरेशन में काम आ जाता है।  पर जैसे जैसे मैक्युलर डीजेनेरेशन बढ़ते लगता है ये चश्मा उतना कारगर नहीं रह जाता है। 
२। टिंटेड चश्मे - पीले रंग का चश्मा मैक्युलर डीजेनेरेशन में एक विशेष रूप से कारगर होता है।  मैक्युलर डीजेनेरेशन में लोगों को उज्ज्वल प्रकाश में रहने के बाद मंद प्रकाश व्यवस्था को समायोजित करने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है इसका कारण लोगों में ड्रूसन हो सकता है, जो रेटिना में ऊतक में जमा होते हैं। यह दृष्टि को प्रभावित कर सकता है। आस-पास बनावट या विरोधाभासों को पहचानना अधिक कठिन होता है, जैसे कि फर्श पर गलीचा, सीढ़ियाँ, या बगल बगल में रखे दो समान रंगों की वस्तुओ के बीच का अंतर। चश्मे में पीले रंग के लेंस होते हैं, जो कंट्रास्ट बढ़ाने और दृष्टि समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। पीले फिल्टर का उपयोग करके कंट्रास्ट संवेदनशीलता में महत्वपूर्ण सुधार पाया  जा सकता है।
ध्यान देने वाली बात ये है की रात में पीले रंग के चश्मे पहनने से बचना चाहिए, खासकर गाड़ी चलाते समय, क्योंकि वे आंखों में जाने वाली रोशनी की मात्रा को कम करते हैं और खतरा पैदा कर सकते हैं।
३। उच्च शक्ति वाले लेंस
मैक्युलर डीजेनेरेशन वाले लोग उच्च शक्ति वाले लेंस से लाभान्वित हो सकते हैं। इन चश्मों में हाई पावर के साथ प्रिज्म होता है।ये चश्मे आम चश्मे से अलग होते है और इन्हे लौ विज़न चश्मे के नाम से भी जाना जाता है।  यह पढ़ने जैसी गतिविधियों के लिए दृष्टि में सुधार करने के लिए दोनों आँखों को एक साथ काम करने में मदद करता है।
४। टेलीस्कोपिक चश्मा
मैक्युलर डीजेनेरेशन वाले लोग दूर दृष्टि में सुधार करने में सहायता के लिए बायोप्टिक टेलीस्कोप का उपयोग का इस्तेमाल करते हैं। एक छोटा टेलिस्कोप सिस्टम चश्मे से जुड़ा होता है, जिससे लोगों को दूर की वस्तुओं को देखने में मदद मिलती है। कुछ देशो में लोगों को वाहन चलाते समय इनका उपयोग करने की अनुमति भी मिलती हैं।
५। बिनोकुलर दूर और नजदीक दोनों का ही चश्मा आता है। 
६।  हेड मैग्निफिएर भी मिलते है जो दूर और नजदीक के कामो में सहायक होते है। 
७।  मैग्नीफाइंग ग्लास - मैग्नीफाइंग ग्लास  सामान्य ग्लास से मोटे होते हैं। आँखों के करीब की वस्तुओं को बड़ा करते हैं, इसलिए वे केवल निकट दृष्टि में सुधार के लिए उपयुक्त हैं।
८।  पॉली कार्बोनेट लेंस - आंखों को चोट से बचाने के लिए पॉलीकार्बोनेट लेंस वाले ग्लास मदद करते है।
९। एंटी-ग्लेयर फिल्टर या एंटीरिफ्लेक्टिव कोटिंग वाले चश्मे - मैग्नीफाइंग ग्लास आँखों को प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, और तेज रोशनी से चकाचौंध अतिरिक्त दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकती है। एंटीरिफ्लेक्टिव कोटिंग वाला चश्मा चुनने से चकाचौंध कम करने में मदद मिल सकती है। लोग एंटी-ग्लेयर फिल्टर का भी उपयोग कर सकते हैं, जो नियमित चश्मे के ऊपर फिट होते हैं और आंखों के लिए अच्छे हैं।
१०।  क्लोज-सर्किट टेलीविज़न मैग्निफायर्स: क्लोज-सर्किट टेलीविज़न मैग्निफायर्स एक कैमरा है जो किसी वस्तु को जैसे कि कोई पुस्तक को टेलीविज़न स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है ताकि लोग अपने सामने वस्तु की एक बड़ी छवि देख सकें।

जगदम्बा जी पूछती है झाँसी से की कोनसा सनग्लास अच्छा होगा अगर डिटेल में बताये तो अच्छा होगा। 
सनग्लास पेहेन्ने का उद्देश्य है आँखों को धुप से बचाना।  यूवी लाइट आंखों के लिए हानिकारक हो सकती है। ए एम डी वाले लोगों को धूप के चश्मे की तलाश करके अपनी आंखों की रक्षा करने की आवश्यकता होती है जो यूवीए और यूवीबी के ९९ -१०० % किरणों  को रोकते हैं।
सूर्य से आने वाली तेज प्रकाश एएमडी को बढ़ा सकता है। लोग अपनी आंखों को नीली रोशनी से बचाने के लिए भूरे या भूरे रंग का धूप का चश्मा पहन सकते हैं। लोग यूवी ४००  लेबल वाले धूप के चश्मे पहन सकते हैं जो की  ४००  नैनोमीटर यूवी विकिरण से बचाते हैं, जो आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। ये न मिले तो फोटोक्रोमिक लेंस सूर्य के प्रकाश से बचने के काम आ सकता है। जब लोग तेज धूप में जाते हैं तो फोटोक्रोमिक लेंस अपने आप गहरे रंग के हो जाते हैं। जब लोग घर के अंदर लौटते हैं, तो चश्मे को दोबारा हल्का होने में कुछ मिनट लगेंगे।

आँखों में कोई परेशानी आये तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करे।  सही समय पर बीमारी का पता लगने से बचाऊँ के रस्ते मिलते है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.