होम स्टे ऑफ मथुरा के तहत श्रद्वालुओं को मिलेगी गांव में ठहरने और खान-पान की सुविधा

बरसाना से होने जा रही है योजना की शुरूआत, गांव के विकास की जिम्मेदारी निभाएगा विप्रा। 

Mar 6, 2024 - 20:48
Mar 6, 2024 - 20:49
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होम स्टे ऑफ मथुरा के तहत श्रद्वालुओं को मिलेगी गांव में ठहरने और खान-पान की सुविधा

मथुरा (आरएनआई) भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और लीला स्थलियों के दर्शन को आने वाले भक्त अब ब्रज के ग्रामीण परिवेश का लुफ्त उठा सकेंगे। यहां उन्हें गांवों में रात को ठहरने और चूल्हे पर बनी पानी के हाथ की रोटी देशी माखन के साथ खाने का मौका मिलेगा साथ में गाय का दूध और छाछ भी पीने को मिलेगी। ब्रज संस्कृति के इस दर्शन की योजना उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने होम स्टे ऑफ मथुरा के तहत तैयार की है।

वर्तमान में ब्रज दर्शन को आने वाले अधिकांश श्रद्वालु मथुरा, वृंदावन , गोवर्धन् और बरसाना के मंदिरों तक सीमित रहते हैं। एक रात और दो दिन के इस धार्मिक टूर में वे ब्रज की मूल संस्कृति से दूर ही रहते हैं। इस दौरान उन्हें भीड-भाड और शहरी जीवन देखने को मिलता है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने ब्रज दर्शन को आने वाले श्रद्वालुओ को ब्रज क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश से रूबरू कराने के लिए होम स्टे ऑफ मथुरा योजना तैयार की है। इसकी शुरूआत बरसाना के निकटवर्ती गांवों से होने जा रही है। इसके लिए प्रथम फेस में नंदगांव सहित राधारानी की अष्ट सखियों के गांवों में से चयन किया जाएगा।

गांव में चयनित लोगों के घरों में ही लोगों को ठहरने की व्यवस्था प्रदान की जाएगी। इन घरों में ग्रामीण परिवेश का खानपान रहेगा। यहां ठहरने वाले लोग गाय का दूध निकालते हुए भी देख सकेंगे। इसके लिए चयनित ग्रामीणों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। गांव के विकास की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के साथ मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण निभाएगा। इसमें गांव की स्वच्छता के साथ सड़क ,प्रकाश, जल निकासी के प्रबंध शामिल हैं।"ब्रज दर्शन को आने वाले लोगों को होम स्टे ऑफ मथुरा के तहत यहां के गांवों से जोडने की योजना है। इसमें लोग मंदिरों के दर्शन के बाद रात्रि विश्राम गांवों में कर सकते हैं। यहां उन्हें ब्रज भाषा सुनने को मिलेगी। साथ ही वे ब्रज के खानपान का स्वाद भी ले सकेंगे। शहरी जीवन से हटकर कुछ क्षण गांव में बिताने का मौका भी लोगों को मिलेगा। बरसाना क्षे़त्र से इस योजना का शुभारंभ होगा। इसका लाभ ग्रामीणों को भी मिलेगा। इसमें गांव का विकास भी किया जाना है।

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