जहाँ भी अन्याय, जुल्म और अनाचार है उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज भगत सिंह है-जन्म जयन्ती पर आयोजित संगोष्ठी में याद किये गए भगत सिंह 

Sep 28, 2023 - 19:00
Sep 29, 2023 - 09:22
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जहाँ भी अन्याय, जुल्म और अनाचार है उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज भगत सिंह है-जन्म जयन्ती पर आयोजित संगोष्ठी में याद किये गए भगत सिंह 

लखनऊ, (आरएनआई) शहीद ए आजम भगत सिंह  की जन्म जयन्ती पर  भारत समृद्धि एवं सर्वजनहिताय संरक्षण समिति के तत्वावधान में आज भगत सिंह के क्रांतिकारी जीवन का स्मरण किया गया और शहीदों के सपनों के भारत विषयक संगोष्ठी में जीवन्त परिचर्चा  हुई है आशियाना में आयोजित  संगोष्ठी " शहीदों के सपनों का भारत " में  मुख्य वक्ता ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे थे |संगोष्ठी की अध्यक्षता राजकुमार शुक्ला ने की और संचालन सर्वजनहिताय संरक्षण समिति की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पी के मिश्रा तथा विशिष्ट अतिथि श्याम जी त्रिपाठी रहे. मुख्य वक्ता शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि भगत सिंह के स्मरण का अर्थ है हर क्षेत्र , हर दल और विचार में घुसी जातीय विद्रूपताओं व् संकीर्णताओं को अपने व्यवहार से ख़त्म करे , दहेज़ , कन्या भ्रूण ह्त्या , स्त्री अपमान , अंध विश्वास भगत सिंह की क्रांतिकारी ज्वालाओं में भस्म हों तभी उनका स्मरण सार्थक होगा। उन्होंने कहा  जहाँ भी अन्याय, जुल्म और अनाचार है उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज भगत सिंह है। 

शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि भगत सिंह कहते थे कि युद्ध छिड़ा हुआ है और यह युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक कि शक्तिशाली व्यक्ति भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर एकाधिकार जमाये रखेंगे। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूंजीपति हों या सर्वथा भारतीय पूंजीपति। भगत सिंह ने कहा कि यह युद्ध न तो हमने प्रारम्भ किया है और न यह हमारे जीवन के साथ समाप्त होगा। भगत सिंह ने कहा हम  गोरी बुराई की जगह काली बुराई को लाकर कष्ट नहीं उठाना चाहते। बुराइयाँ एक स्वार्थी समूह की तरह एक दूसरे  का स्थान लेने के लिए तैय्यार रहती हैं।

संगोष्ठी राजकुमार में डा.मंजू शुक्ला, अनीता त्रिपाठी, रेनु त्रिपाठी, प्रतिमा अवस्थी, गीता वर्मा, उषा त्रिपाठी, सरोज बाला सोनी, अनिल सिंह, राजू शुक्ला, राजेन्द्र पाण्डेय, श्याम प्रकाश त्रिवेदी,इंजीनियर  ऐस पी सिंह  सहित सभी विभागों के  कर्मचारी संघों के वरिष्ठ पदाधिकारी, शिक्षक, बुद्धिजीवी और आम लोग बड़ी संख्या में सम्मिलित रहे हैं।

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