'कश्मीर मुद्दा 100 साल पुराना नहीं, यह 78 साल पहले शुरू हुआ'; कांग्रेस का ट्रंप पर तंज
कांग्रेस ने रविवार को मांग की कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के लिए बनी सहमति पर विस्तृत चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।

नई दिल्ली (आरएनआई) कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। शिवसेना से लेकर कांग्रेस तक सभी इस मसले पर किसी भी देश के दखल पर एतराज जताया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह मुद्दा बाइबिल के हिसाब से 100 साल पुराना संघर्ष नहीं है, बल्कि यह केवल 78 साल पहले शुरू हुआ था। दरअसल, ट्रंप ने इस मसले को 1000 साल पुराना बताया था।
'एक्स' पर एक पोस्ट में मनीष तिवारी ने कहा, 'अमेरिका में किसी को अपने राष्ट्रपति को गंभीरता से सही तथ्य बताने की आवश्यकता है। उन्हें बताना चाहिए कि कश्मीर बाइबिल में बताए गए 1000 साल पुराना संघर्ष नहीं है। यह 22 अक्तूबर 1947 को शुरू हुआ। 78 साल पहले जब पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर के स्वतंत्र राज्य पर आक्रमण किया था। बाद में महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर, 1947 को पूर्ण रूप से भारत को सौंप दिया था। इसमें पाकिस्तान द्वारा अब तक अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र भी शामिल हैं। इस सरल तथ्य को समझना कितना मुश्किल है?'
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी मामले में प्रतिक्रिया दी। उन्होने कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक की भी मांग की। जयराम ने कहा, 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर मांग करती है कि पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर और युद्ध विराम के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाया जाए। संघर्ष विराम की घोषणा पहले वाशिंगटन डीसी में और उसके बाद भारत और पाकिस्तान की सरकारों की ओर से की गई थी। ऐसे कई मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा की जरूरत है।
उन्होंने लिखा, 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए तटस्थ मंच का उल्लेख कई सवाल खड़े करता है। क्या हमने शिमला समझौते से दूरी बना ली है? क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजा खोल दिया है? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह पूछना चाहती है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक चैनल फिर से खोले जा रहे हैं? हमने पाकिस्तान से क्या प्रतिबद्धताएं मांगी हैं और हमें क्या मिला है?'
ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान आक्रमण को रोकने का समय आ गया है, जो कई लोगों की मौत और विनाश का कारण बन सकता था। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे! आपकी विरासत आपके साहसी कार्यों से बहुत बढ़ गई है।' ट्रंप ने इस दावे पर जोर दिया कि अमेरिका ने शांति स्थापित करने में मदद की और कश्मीर पर समाधान के लिए मध्यस्थता की पेशकश की।
भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बार-बार खारिज किया है। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। शनिवार को भारत ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका को भी कमतर बताते हुए कहा था कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सहमति बन गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लगातार अपना रुख बनाए रखा है। उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान ने आज गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनाई है। भारत ने लगातार आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ दृढ़ और अडिग रुख बनाए रखा है। यह ऐसा करना जारी रखेगा।
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