पहलगाम में सैनिक पति को खोने वाली हिमांशी की ऑनलाइन ट्रोलिंग, NCW की अपील- गरिमा का ध्यान रहे
पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के बयान पर ट्रोलिंग को महिला आयोग ने गलत बताया। आयोग ने कहा कि किसी महिला को उसकी राय या निजी जीवन के आधार पर निशाना बनाना उचित नहीं। हर महिला की गरिमा और सम्मान जरूरी है।

नई दिल्ली (आरएनआई) नेशनल कमीशन फॉर वीमेन (एनसीडब्ल्यू) ने पहलगाम आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के समर्थन में बयान जारी किया है। आयोग ने कहा कि किसी महिला को उसकी सोच या निजी जीवन के आधार पर ट्रोल करना गलत है।
हमले के बाद हिमांशी नरवाल ने अपील की थी कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना न बनाएं। उन्होंने कहा था कि हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के पीछे पड़ें। हिमांशी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा।
हिमांशी नरवाल के बयान पर सोशल मीडिया पर बयानबाजी के बीच महिला आयोग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल की सोशल मीडिया पर आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग ने माना कि हिमांशी के बयान से हर कोई सहमत नहीं हो सकता, लेकिन असहमति जताने का तरीका संविधान के दायरे में और सभ्य होना चाहिए।
साथ ही आयोग ने यह भी याद दिलाया कि हिमांशी के पति को धर्म पूछकर गोली मारी गई, जिससे देश में गुस्सा है। लेकिन ऐसे समय में भी किसी महिला को ट्रोल करना उचित नहीं है। इसको लेकर आयोग ने कहा कि हर महिला की गरिमा और सम्मान मूल्यवान है, और ऐसे राष्ट्रीय दुख के समय में भी अभिव्यक्ति का तरीका मर्यादित और मौलिक होना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते मंगलवार 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और फिर हिंदू हो कहकर गोली मार दी।
तीन जुलाई से शुरू होने जा रही श्रीअमरनाथ यात्रा से पहले इस कायराना हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। फरवरी, 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। उस हमले में सीआरपीएफ के 47 जवान मारे गए थे।
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