भीषण गर्मी में सूखे तालाब-पोखरे, पानी को पशु पक्षी बेहाल

कछौना, हरदोई (आरएनआई) विकासखंड कछौना के अंतर्गत परंपरागत आबादी मनरेगा अमृत सरोवर के तहत सैकड़ो तालाब स्थित है। तालाबों का उद्देश्य सिंचाई, जल संचयन, पशु पक्षियों को पानी की उपलब्धता, मछली पालन, सिंघाड़ा, कमलगट्टा, भसैडा आदि के लिए उपयोगी है। भूजल सही रहता है। आसपास के किसानों के जीविकोपार्जन में सहायक हैं। विकास की दौड़ में धीरे-धीरे तालाबों का अस्तित्व संकट में है। आबादी क्षेत्र में स्थित तालाबों पर ग्रामीण कब्जा कर निर्माण कार्य कर रहे हैं। यह तालाब गांव के अंदर व गांव के आसपास स्थित होते हैं। यह अभिलेखों में तालाब दर्ज नहीं होते हैं। इसका फायदा भू-माफिया उठाते हैं। वही परंपरागत तालाबों में आवंटन मछली पालन, सिंघाड़ा डालने के लिए होते हैं। सिंघाड़ा डालने वाले ज्यादातर किसान दवा रासायनिक केमिकल का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी जहरीला हो जाता है। जिससे पशु पक्षियों का जीवन प्रभावित होता है। वही गांव के समीप तालाबों में आबादी का पानी कूड़ा करकट प्लास्टिक सीधे तालाबों में जाता है। जिससे पानी प्रदूषित होता है। इस समय गर्मी के दिनों में पानी के बिना तालाब सूखे पड़े हैं। जिससे पालतू पशुओं व पक्षियों को पानी न मिलने के कारण जीवन संकट में है। खण्ड विकास अधिकारी कछौना महेश कुमार ने बताया नजदीकी माइनर, रजबहा, नहर से तालाबों में पानी भर लें। पंपिंग सेट से ग्राम प्रधान ग्राम निधि से अपनी विशेष स्थिति में तालाब में पानी भरवा लें।
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