मराठी न बोल पाने को लेकर यूपी के कैब ड्राइवर की हुई पिटाई, दादागिरी पर भड़के लोग
यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और करीब 2 मिनट 50 सेकंड का यह वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग न सिर्फ ड्राइवर को धमका रहे हैं, बल्कि शारीरिक रूप से भी हमला कर रहे हैं।

महाराष्ट्र (आरएनआई) महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर गरमाया है। वर्षों से यह मुद्दा राज्य में चर्चा का विषय रहा है, लेकिन जब यह विवाद हिंसक रूप ले ले तो मामला गंभीर हो जाता है। हाल ही में, सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या किसी व्यक्ति पर भाषा थोपना और उस आधार पर हिंसा करना उचित है?
वीडियो में देखा गया कि एक उत्तर प्रदेश का कैब ड्राइवर यात्रियों की हिंसा का शिकार हो गया। वजह यह बताई जा रही है कि वह तय समय से लगभग पांच मिनट देरी से पहुंचा और राइड रद्द हो गई। इतना ही नहीं यात्रियों ने उससे मराठी में बातचीत करने की मांग की। ड्राइवर ने मराठी बोलने की कोशिश भी की, लेकिन जब वह ठीक से संवाद नहीं कर सका तो गाली-गलौज और मारपीट शुरू हो गई।
यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और करीब 2 मिनट 50 सेकंड का यह वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग न सिर्फ ड्राइवर को धमका रहे हैं, बल्कि शारीरिक रूप से भी हमला कर रहे हैं। पीड़ित ड्राइवर का कहना है कि वह यूपी से है और उसे केवल मराठी न बोल पाने के कारण यह सब झेलना पड़ा।
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। यूजर्स इसे भाषा के नाम पर गुंडागर्दी बता रहे हैं और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि भाषा हमें जोड़ने का माध्यम है, न कि बांटने का। लेकिन कुछ लोग इसे हिंसा और दबाव का जरिया बना रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है। X पर यह वीडियो @gharkekalesh नामक अकाउंट से शेयर किया गया। पोस्ट में लिखा गया, "कैब ड्राइवर और पैसेंजर के बीच हुआ टकराव। यूपी के ड्राइवर को 5 मिनट की देरी और मराठी बोलने के बावजूद राइड रद्द होने पर पीटा गया।"
कमेंट्स में लोगों ने घटना की आलोचना की। एक यूजर ने लिखा, "लगता है इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है।" दूसरे ने सवाल उठाया, "मुंबई में आखिर ये सब हो क्या रहा है?" तीसरे ने मांग की, "इन लोगों को तुरंत अरेस्ट किया जाना चाहिए।" चौथे ने कहा, "अब और नहीं, ऐसे मामलों पर रोक लगनी चाहिए।" पिछले कुछ समय में महाराष्ट्र में भाषाई भेदभाव और उससे जुड़ी घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
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