गुना का चर्चित अभ्युदय हत्याकांड: माननीय सीजेएम कोर्ट ने इन 13 बिंदुओं पर खारिज की दूसरी एसआईटी द्वारा पेश क्लोजर रिपोर्ट

May 11, 2025 - 13:51
May 11, 2025 - 13:52
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गुना का चर्चित अभ्युदय हत्याकांड: माननीय सीजेएम कोर्ट ने इन 13 बिंदुओं पर खारिज की दूसरी एसआईटी द्वारा पेश क्लोजर रिपोर्ट

गुना (आरएनआई) मामला:14 फरवरी 2025 को गुना में एक सनसनीखेज कांड सामने आया, जिसमें 14 साल के एक लड़के अभ्युदय जैन की लाश उसी के घर के बाथरूम में पाई गई। मां और पड़ोसी उसे अस्पताल ले गए।पुलिस ने अस्पताल से आई तहरीर पर मर्ग क्रमांक 01/2025 कायम कर जांच शुरू की। 8 दिन बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अभ्युदय की हत्या की गई है, 22 फरवरी को थाना सिटी कोतवाली गुना में क्राइम नम्बर 115/2025 पर अज्ञात आरोपी के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया गया। जब ये केस आगे बढ़ा तो पुलिस ने 08 मार्च को हत्या के जुर्म में उसकी मां अलका जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 

इस गिरफ्तारी को मृतक के पिता और आरोपी के पति अनुपम जैन ने अन्याय बताया। उन्होंने पुलिस पर आरोप जड़े और पत्नी को निर्दोष बताते हुए नए सिरे से केस की जांच की मांग प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और डीजीपी को 12 मार्च 2025 को पत्र प्रेषित कर की। डीआईजी अमित सांघी ने नए सिरे से एसआईटी से जांच कराने के निर्देश दिए।

30 मार्च 2025 को गठित नई एसआईटी में अवनीत शर्मा उपपुलिस अधीक्षक अजाक जिला शिवपुरी, विकास यादव निरीक्षक थाना बदरवास एवं मानसिंह अति. पुलिस अधीक्षक गुना को रखा गया। इस नई एसआईटी ने जांच के आधार पर आरोपी के विरूद्ध कोई साक्ष्य न पाये जाने से दिनांक 05 मई को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गुना के न्यायालय में खारिजी प्रतिवेदन (क्लोजर रिपोर्ट) प्रस्तुत कर दिया।

विद्वान सीजेएम कु. मधुलिका मुले ने खुले न्यायालय में 09 मई को एसआईटी द्वारा प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट और केस डायरी का अवलोकन कर अपने फैसले में जिक्र किया कि - 

मर्ग जांच के दौरान साक्षीगण मृतक की मॉ अलका जैन व अन्य साक्षीगण प्रियंका रजक, रवि चौरसिया, शुभम यादव, दीपा कुकरेजा, वंदना उर्फ रिकी जैन, स्वदेश जैन, अर्पित जैन, नेहा जैन, नव्या जैन, विक्की, रेशू आदिके कथन लिये गये। मृतक उसके परिजन व अन्य लोगों के मोबाईल नंबर की सी.डी.आर. प्राप्त की गई। घटनास्थल से एक स्टील का टॉवेल हैंगर, मृतक की नोटबुक, एक दुपट्टा बराबर दो हिस्सों में कटा हुआ, तीन भागों में कटी हुई लैगी, एक धारदार चाकू, एक मोबाईल जप्त किये गये।

घटना के 10 दिन बाद मृतक के पिता अनुपम के पेश करने पर एक चेन जप्त की। 26 फरवरी को मृतक के घर के बाहर रखे डस्टबिन से हरे व नारंगी रंग की चूड़ी के टुकड़े जप्त किये गये। 28 फरवरी को मृतक के घर से 06 हरे रंग की व 03 नारंगी रंग की चूड़ियां, गेहूं पीसने की चक्की जप्त की गई। घटनास्थल के पास स्थित घर के बाहर लगे सी. सी.टी.व्ही. कैमरे के फुटेज रखने वाली पेन ड्राईव जप्त की गई। जप्तशुदा दुपट्टा, लैगी, चाकू, हैंगर और मृतक के दोनों हाथों के नाखूनों की कटिंग की फोरेंसिक जांच कराई गई। जिसमें दुपट्टा, लैगी, चाकू, हैंगर पर रक्त नहीं पाया गया। नाखूनों की कटिंग पर रक्त व मानव त्वचा के अंश पाये गये। चैन पर रक्त व त्वचा नहीं पाया गया। मृतक की अंकसूची, उत्तरपुस्तिका एवं एक नोटबुक आदि जप्त किये गये।

इन्वेस्टिगेशन के दौरान जप्तशुदा सामग्री, साक्षीगण के कथन, शव परीक्षण रिपोर्ट आदि साक्ष्य के आधार पर दिनांक 08 मार्च को आरोपी को गिरफतार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। 

संपूर्ण केस डायरी व समग्र खारजी प्रतिवेदन के अवलोकन से दर्शित है कि दिनांक 14 फरवरी को घर के अंदर बने बाथरूम में 14 वर्षीय बालक मृत अवस्था में पाया गया है। मृतक की मॉ अलका जैन (आरोपी) को मृतक के साथ अंतिम बार होना केस डायरी में उल्लेखित है। केस डायरी अनुसार आरोपी लगभग 04:00 बजे अपने बालक अभ्युदय को घर में अकेला छोडकर बैडमिंटन खेलने गई थी। जब वह लगभग 07:00 बजे घर वापस आई तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। उसने दरवाजा खटखटाया परंतु किसी ने खोला नहीं तब आरोपी ने अपने मकान मालकिन से घर की दूसरी चाबी लेकर घर का दरवाजा खोलकर अंदर जाना तथा बाथरूम में टोवेल हैंगर पर झूले जैसे दोनों साईड से दुपट्टे पर मृतक को लटके हुये सर्वप्रथम देखना बताया है। उसके कथनों में यह भी उल्लेखित है कि उसके पैर में लैगी बहुत टाईट बंधी हुई थी। वह चिल्लाई तो उसकी चिल्लाने की आवाज सुनकर उसकी मकान मालकिन नेहा जैन आ गई। उस समय वह अपने पुत्र (मृतक बालक) को दुपट्टे से निकालने का प्रयास कर रही थी। दुपट्टे की गांठ न खुलने से, रसोईघर के चाकू से दुपट्टे की गांठ और लैगी को काटा।

मृतक की मॉ अलका जैन की मकान मालकिन नेहा जैन ने अपने कथनों में बताया है कि अलका ने उसके पास आकर कहा कि उसका बेटा अंदर से दरवाजा नहीं खोल रहा था, शायद वह कोचिंग चला गया होगा अगर घर की दूसरी चाबी हो तो दे दो। तब उसने सारी चाबियां निकालकर टेबिल पर रख दी और अलका से कहा कि इसमें अपनी चाबी ढूंढ़ लो फिर थोड़ी देर बाद अलका ने एक चाबी दिखाकर कहा कि यह लग जायेगी और वहां से चली गई। करीब दो-तीन मिनिट बाद ही उसे चिल्लाने की आवाज आई तो उसने उपर जाकर देखा तो अभ्युदय बाथरूम में लेटा था और अलका उसके सिर के पास बैठकर रो रही थी, उसके मुंह तथा नाक से पीले कलर की उल्टी जैसा तरल पदार्थ निकल रहा था।

अनुपम जैन द्वारा प्रेषित पत्र के आधार पर गठित विशेष जांच टीम द्वारा सिविल सर्जन गुना को पत्र लेखकर क्योरी चाही गई जिसमें डॉक्टर के पैनल द्वारा दी गई क्योरी विवेचना में आये तथ्यों के अनुरूप न होने से विशेषज्ञ राय प्राप्त करने हेतु पत्र मय प्रपत्रों के मेडिको लीगल इन्स्टीट्यूट गांधी मेडिकल कॉलेज ईदगाह हिल्स भोपाल म.प्र. को लेख कर निम्नलिखित बिन्दुओं पर उत्तर चाहे थे-
बिन्दु कं.-1 मृतक की मृत्यु का स्पष्ट कारण क्या था ?

बिन्दु कं.-2 मृतक की मृत्यु की प्रकृति क्या थी ?

बिन्दु कं.-3 अन्य कोई महत्वपूर्ण बिन्दु जो अनुसंधान में महत्वपूर्ण हो ?

इसके संबंध में विशेषज्ञ द्वारा अपनी राय बिन्दुवार दी गई है।

बिन्दु कं.-1 का उत्तर यह दिया गया है कि पी.एम. जांच करने वाले डॉक्टरों के पैनल द्वारा मृत्यु के कारण के संबंध में दी गई राय का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

बिन्दु कं.-2- मृतक अभ्युदय की मृत्यु का कारण मृत्यु पूर्व फांसी है जो आमतौर पर आत्महत्या की प्रकृति की होती है जब तक कि वैज्ञानिक आधार पर अन्यथा साबित न किया जाये।

बिन्दु कं.-3- मामले को अंतिम रूप देने के लिये विस्तृत परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भी विचार किया जाना चाहिये।

इस संबंध में यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि विशेषज्ञ द्वारा दी गई राय में यद्यपि मृतक की मृत्यु की प्रकृति आत्महत्या की होना बताई है परंतु उसके शव परीक्षण रिपोर्ट में दिये गये मृत्यु के कारण स्ट्रंग्युलेशन के क्यों नहीं हो सकते, इस संबंध में उनकी रिपोर्ट में कोई विस्तृत वर्णन दर्शित नहीं है तथा विशेष जांच टीम द्वारा भी इसकी कोई जांच कराई जाना दर्शित नहीं है कि मृतक को प्रकरण में संलग्न छायाचित्रों में दिखने वाले लिगरेचर मार्क स्ट्रंग्युलेशन से आ सकते है या दुपटटे से फांसी लगाने से आ सकते है या नहीं।

विशेषज्ञ की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भी विचार किया जाना चाहिये परंतु केस डायरी में प्रकट होने वाली अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य जैसे टोवेल हैंगर की वजन धारक क्षमता, टोवेल हैंगर की जमीन से उंचाई तथा मृतक की लंबाई, हैंगर पर लटकी हुई अन्य नारंगी डोरी, आरोपी द्वारा कई चाबियों में से तुरंत अपनी चाबी ढूंढना, दो-तीन मिनिट में शव को उतार लेना, अन्य साक्षीगण के कथन, मृतक की जप्तशुदा नोटबुक जिसके पीछे के तीन पन्नों पर लिखी बातों का स्पष्टीकरण आरोपी एवं मृतक के अन्य परिजनों से न लेना, उक्त नोटबुक का उसी क्रम में एक पन्ना फटा हुआ होना, घटना के अगले ही दिन मृतक की मामी व मकान मालकिन द्वारा मृतक के स्कूल जाकर उसकी उत्तर पुस्तिका देखना, मृतक के मित्रों, अन्य पड़ोसियों से कोई पूछताछ न करना, जप्तशुदा मोबाईल की कॉल डिटेल आदि तथ्यों पर विचार किया जाना दर्शित नहीं होता है।

चिकित्सा न्यायशास्त्र अनुसार फांसी लगाने एवं गला घोंटकर मृत्यु कारित करने की दोनों ही परिस्थितियों में गले पर बनने वाले लिगरेचर मार्क को पृथक पृथक रूप से परिभाषित किया गया है। इस संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित न्यायदृष्टांत रविरला लक्ष्मीया विरूद्ध स्टेट ऑफ आंध्रप्रदेश निर्णय दिनांक 28.05.2013 तथा जावेद अब्दुल रज्जाक शेख विरूद्ध स्टेट ऑफ महाराष्ट्र निर्णय दिनांक 06.11.2019 अवलोकनीय है जिसमें फांसी द्वारा कारित मृत्यु तथा गला घोंटने से कारित मृत्यु में आने वाले अंतर को विस्तृत रूप से बताया गया है। हस्तगत प्रकरण में संलग्न मृतक के छायाचित्रों में दर्शित लिगरेचर मार्क दुपटटे से फांसी लगाने से आ सकते है इस बिन्दु पर संदेह उत्पन्न होता है तथा मृतक की शव परीक्षण रिपोर्ट में भी उसकी मृत्यु एन्टीमोर्टमस्ट्रंग्युलेशन से होना उल्लेखित की है।

उपरोक्त संपूर्ण विश्लेषण पश्चात् हस्तगत प्रकरण में केस डायरी में निम्नलिखित परिस्थितिजन्य साक्ष्य प्रकट हुई है जो खारिजी प्रतिवेदन एवं मृतक की मॉ अलका जैन के विरूद्ध संदेह का आधार उत्पन्न करती है-

01- केस डायरी में मृतक की माँ का अंतिम बार मृतक के साथ देखा जाना दर्शित किया गया है। इस संबंध में धारा 106 साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों पर विचार किया जाना चाहिये।

02- केस डायरी में मृतक की मृत्यु 01:30 बजे उसके खाना खाने के एक घंटे के अंतराल में अर्थात् 02:30 बजे के लगभग होना तथा उस समय मृतक की माँ का घर में ही होना दर्शित किया गया है।

03- केस डायरी में टोवेल हैंगर पर दुपटटे से फांसी लगाकर मृतक द्वारा मृत्यु कारित करने के तथ्य उल्लेखित है परंतु सामान्य अनुकम में टोवेल हैंगर की उंचाई तथा मृत बालक की लंबाई की जो परिस्थितियां केस डायरी में दर्शित की गई है, उसमें उक्त बालक का स्वयं के पैर बांधकर फांसी लगाकर आत्महत्या करना संदेहास्पद प्रतीत होता है।

04- केस डायरी में मृतक की मां द्वारा मृत बालक के पैरों में बंधी हुई लैगी व गले में फंसे हुये दुपटटे को चाकू से काटना बताया है। प्रकरण में संलग्न छायाचित्रों में उक्त लैगी तीन बराबर भागों में कटी दर्शित हो रही है जो कि पैरों में बंधी हुई अवस्था में चाकू से काटे जाने पर बराबर भागों में कटना संदेहास्पद प्रतीत होता है।

05- मृतक की माँ द्वारा फलैट का दरवाजा खोलकर अंदर जाकर मृत बालक को बाथरूम में दुपटटे से झूलता हुआ देखना, उसके बाद उसका चींखना तथा चींख सुनकर मकान मालकिन नेहा जैन का नीचे से दो-तीन मिनिट में ही उपर जाकर बालक को बाथरूम को नीचे लेटा हुआ देखना तथा उसकी माँ को बालक के सिराहने पर बैठा हुआ देखना केस डायरी में दर्शित है। परंतु इस बिन्दु पर भी विचार किया जाना आवश्यक है कि दो-तीन मिनिट एक मां द्वारा अपने पुत्र के गले में फंसा हुआ दुपटटा व पैरों में बंधी हुई लैगी चाकू से काट ली गई तथा इस बिन्दु पर विचार किया जाना आवश्यक है कि दुपटटे से चाकू से काटने पर जब बच्चे का शव उसकी मां संभाल रही थी तब ऐसी क्या परिस्थिति थी कि बच्चे के शव को छोड़कर हैंगर पर बंधे हुये दुपटटे की दूसरे सिरे की गांठ खोलकर मृतक की मॉ ने उन दो-तीन मिनिट के अंदर ही निकाल लिया क्योंकि केस डायरी में संलग्न छायाचित्र में बाथरूम में मात्र टोवेल टांगने का हैंगर दिखाई दे रहा है, उस पर कोई दुपटटा दिखाई नहीं दे रहा है।

06- केस डायरी में यह उल्लेखित है कि अलका जैन ने फ्लैट की चाबी खो जाना तथा मकान मालकिन से फ्लैट की दूसरी चाबी मांगना तथा नेहा जैन द्वारा अपने घर की चाबियों का पर्स अलका जैन को देना तथा उसमें से अपने एक फ्लैट की चाबी अलका जैन द्वारा ढूंढ लेना अपने कथनों में बताया है। जिसका समर्थन अन्य साक्षी नेहा जैन के कथनों से भी किया जाना दर्शित होता है परंतु यहां यह विचार योग्य है कि कई सारी चाबियों में से अल्प समय में ही लॉक में लगाकर देखे बिना केवल देखकर एकमात्र डुप्लीकेट चाबी ढूंढ लेना तथा उसी चाबी से लॉक खुल जाना सामान्य अनुक्रम में संदेहास्पद प्रतीत होता है तथा इस संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता कि अलका जैन के पास पहले से ही फ्लैट की एक चाबी उपलब्ध हो सकती है।

07- केस डायरी में मृतक की नोटबुक जप्त की गई है जिसमें पीछे के तीन पृष्ठों पर मृतक के परिजनों के संबंधों को लेकर कुछ तथ्य लिखे जाना दर्शित होता है। उसी नोटबुक में उसी क्रम में एक पेज फटा हुआ होना दर्शित होता है जो संदेह का आधार उत्पन्न करता है।

08- केस डायरी में यह भी उल्लेख है कि घटना के अगले ही दिन मृतक की मामी तथा मकान मालकिन द्वारा मृतक के स्कूल में जाकर उसके हिन्दी के पेपर की उत्तर पुस्तिका की जांच की गई थी जबकि सामान्य अनुक्रम में जब किसी घर में किसी कि असामान्य परिस्थितियों में मृत्यु हुई हो तब उस बालक के परिजनों के द्वारा शोक संतप्त अवस्था में स्वयं अनुसंधान जैसी प्रकिया करना अस्वाभाविक प्रतीत होता है तथा संदेह उत्पन्न करता है।

09- प्रकरण में जप्तशुदा मोबाईल की कॉल डिटेल, सी.सी.टी.व्ही. फुटेज, पेनड्राईव संलग्न है, वह भी प्रकरण में विचार योग्य है।

10- मृतक का पढ़ाई में कमजोर होना तथा उसके डिप्रेशन में रहने से उसका आत्महत्या करना बताया है परंतु प्रकरण में जप्तशुदा उसकी पांचवी, छठवी, सांतवी की अंकसूची में जिसमें उसकी पांचवी कक्षा में 89.5 प्रतिशत अर्थात लगभग 90 प्रतिशत, छठवी कक्षा में 78 प्रतिशत तथा सांतवी कक्षा 64.7 प्रतिशत नंबर आये हैं, ऐसी स्थिति में यह तथ्य भी विचार योग्य है एवं खारिजी प्रतिवेदन में उल्लेखित बालक के पढ़ाई में कमजोर होने और उसके उपरांत आत्महत्या करने के अभिमत में संदेह उत्पन्न करता है।

11- केस डायरी में उल्लेखित है कि फ्लैट अंदर से लॉक था परंतु यह भी विचार किया जाना चाहिये कि फ्लैट के दरवाजे का लॉक क्या ऐसा था कि उसको किसी भी दशा में बाहर से बंद ही नहीं किया जा सकता था। इस संबंध में कोई स्पष्ट अभिमत केस डायरी में उल्लेखित न होने से संदेह उत्पन्न होता है।

12- साक्षी राजकुमारी एवं सोनम के कथनों में घटना दिनांक को उनका नीचे काम करना तथा उपर के फ्लौर से 02:30 बजे के लगभग धम-धम और पैर पटकने की आवाज आना बताया है तथा मृतक की मृत्यु का समय भी केस डायरी में इसी दौरान का प्रकट होना उल्लेखित किया है, उक्त दोनों परिस्थितयां भी प्रकरण में संदेह उत्पन्न करती है।

13- शव परीक्षण रिपोर्ट में मृत्यु का कारण एन्टीमोर्टम स्ट्रंग्युलेशन होना बताया है तथा मृतक की आंखों में सबकंजक्टायबल हेमरेज पाया जाना भी शव परीक्षण रिपोर्ट में उल्लेखित है जो कि सामान्यतः स्टंग्युलेशन के केसेस में पाया जाता है, इस परिस्थिति को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने आदेश में लिखा कि, ऐसी स्थिति में मात्र इस आधार पर कि घर में कोई नहीं था और मां को अपने पुत्र की हत्या करने का कोई हेतुक (मोटिव) नहीं था, यह कारण दर्शित करते हुये दी गई खारिजी रिपोर्ट विश्वसनीय प्रतीत नहीं होती।

कोर्ट ने कोतवाली द्वारा अपराध क्रमांक 115/2025 में प्रस्तुत खारिजी प्रतिवेदन एवं आरोपी की ओर से प्रस्तुत आवेदन अंतर्गत धारा 189 बी.एन.एस.एस. अस्वीकार कर दिया। साथ ही केस डायरी में संलग्न दस्तावेजी साक्ष्य, साक्षीगण के कथन एवं अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपी अलका जैन के द्वारा मृतक अभ्युदय जैन की धारा 103 एवं 238 बी.एन.एस. के अंतर्गत प्रथम दृष्टया अपराध कारित किये जाने के आधार प्रकट होने से उक्त अपराध का संज्ञान ले लिया है।

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