जोधपुर झाल: यहां रहते हैं इंजीनियर पक्षी का, अनोखे घौंसले बनाने में माहिर हैं बया पक्षी
इन्हें इंजीनियर के नाम से भी जानते हैं, भारत में मिलने वाली चार में से तीन प्रजातियां जोधपुर झाल पर करती हैं प्रजनन, जून से शुरू होगा प्रजनन काल।

मथुरा (आरएनआई) उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा आगरा मथुरा और भरतपुर के मध्य विकसित किए जोधपुर झाल को इंजीनियर पक्षियों ने अपना संसार बना लिया है। यहाँ प्रजनन से पहले विभिन्न प्रजातियाँ इन दिनों अपना घोसले बना रही हैँ, इनकी घोंसला बनाने की अद्भुत कला के कारण ही इन्हे इंजीनियर के नाम से भी जाना जाता है।
जोधपुर झाल मथुरा जनपद में फरह के निकट स्थित है। इसे उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा वन विभाग के सहयोग से वेटलैंडस के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहाँ बेहतर वातावरण के चलते बड़ी संख्या में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ यहाँ प्रवास करती हैं।
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी ( बीआरडीएस) के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर वीवर की तीन प्रजातियां बया बीवर, ब्लैक-ब्रस्टेड बीवर और स्ट्रीक्ड बीवर प्रजनक निवासी हैं। पशु पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां अपनी वंशवृद्धि की प्रक्रिया को अपने अपने तरीकों से पूर्ण करती हैं। पक्षियों की बात करें तो जितनी प्रजातियां हैं उनके घौंसले बनाने से लेकर प्रजनन के लिए साथी का चुनाव और चूजों के पालन पोषण के अलग अलग तौर तरीके हैं। जहां एक ओर पक्षियों को प्रजनन संबधी अनुकूल परिस्थितियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ आगरा-मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल के संरक्षण और उचित रख रखाव के फलस्वरूप भारत में पाई जाने वाली वीवर की चार में से तीन प्रजातियां जोधपुर झाल पर प्रजजन करती हैं।
जोधपुर झाल पर वीवर की प्रजातियों की ब्रीडिंग का अध्ययन कर रहे अब्दुल कलाम के अनुसार वीवर प्रजाति का प्रजनन काल जून से सितंबर तक चलता है। वीवर अपने घौंसले जिस तरह बनाते हैं इस कारण इन्हे बुनकर पक्षी भी कहा जाता है। वेटलैंड्स, नहरें और तालाब के पास के स्थलीय वृक्ष घौंसले बनाने के आदर्श स्थल हैं। यह पाम, खजूर , मूंज , कांस , टाइफा घास अथवा धान की लंबी पत्तियों को घागे की तरह पट्टी काटकर आपस में उन्हें बुनते हैं। केवल नर वीवर घोंसले का निर्माण करते हैं। मादाओं द्वारा आंतरिक सज्जा की जाती है। जिसमें मिट्टी का भी प्रयोग किया जाता है। घोंसले निर्माण में मानसून व शत्रु पक्षियों से सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?






