बंधुआ मजदूरी के दोषियों पर चांचौड़ा थाना में एफआईआर दर्ज, 12 में से 9 आरोपी गिरफ्तार

मानसिक रूप से अस्वस्थ और असहाय मजदूरों से बंधुआ श्रम कराने वाले आरोपियों पर कठोर धाराओं में प्रकरण दर्ज।

May 3, 2025 - 17:36
May 3, 2025 - 17:37
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बंधुआ मजदूरी के दोषियों पर चांचौड़ा थाना में एफआईआर दर्ज, 12 में से 9 आरोपी गिरफ्तार

गुना (आरएनआई) जिले के चांचौड़ा क्षेत्र में 16 मानसिक रूप से अस्वस्थ, वृद्ध और असहाय मजदूरों को बंधुआ बनाकर ढाबों, खेतों और ईंट-भट्टों पर अमानवीय परिस्थितियों में काम कराने वाले 12 आरोपियों के विरुद्ध चांचौड़ा थाना पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी के निर्देश पर की गई इस कार्रवाई में 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि शेष 3 की तलाश जारी है। पिछले दिनों चांचौड़ा क्षेत्र के जयसिंहपुरा, खोड़ा और चक पटोदी गांवों में एक गोपनीय अभियान चलाकर प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया था। इन मजदूरों में कई मानसिक रूप से विक्षिप्त, बुजुर्ग और दूरदराज के राज्यों से लाए गए लोग शामिल थे, जिन्हें वर्षों से केवल भोजन के बदले बंधक बनाकर कार्य कराया जा रहा था। इनकी हालत दयनीय थी और किसी से संपर्क तक की अनुमति नहीं थी।

इन पीडि़तों के बयान और मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर चांचौड़ा थाना पुलिस ने 12 आरोपियों के खिलाफ अप.क्र. 164/25 धारा 127(4), 127(6), 143(2), 146, 115(2), 351(2), 3(5) बीएनएस के तहत प्रकरण दर्ज किया है। आरोपियों में युवराज पुत्र प्रीतम राजपूत (चक पटोदी), मांगीलाल, भगवत, रामबाबू, जीवन, हृदेश, दिलीप, गजेन्द्र, भूरा, जितेन्द्र, अशोक एवं राजवेन्द्र के नाम प्रमुख हैं, जिनमें से अधिकांश जयसिंहपुरा निवासी हैं। गुना पुलिस की त्वरित कार्यवाही के चलते अब तक 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। शेष तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीम लगातार दबिश दे रही है। पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने मामले को गंभीर मानते हुए दोषियों को जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।

प्रशासन की ओर से मुक्त कराए गए सभी मजदूरों को फिलहाल शिवपुरी स्थित अपना घर आश्रय स्थल में रखा गया है, जहां उन्हें भोजन, वस्त्र और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही उनके परिजनों की तलाश भी शुरू की गई है, जिससे इन्हें सुरक्षित रूप से घर पहुंचाया जा सके। बंधुआ मजदूरी के इस संगठित शोषण के मामले ने प्रशासन को हिला कर रख दिया है। यह कार्रवाई न केवल कानून के पालन का उदाहरण है बल्कि यह भी संकेत देती है कि अब जिले में इस तरह की अमानवीय प्रवृत्तियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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