'मनोरंजन के लिए ताश खेलना नैतिक पतन नहीं', कर्नाटक सहकारी समिति के निदेशक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

कर्नाटक के गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी इंपलाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के निदेशक हनुमंतरायप्पा को जुआ खेलते पकड़े जाने पर पद से हटा दिया गया था। इसे लेकर हनुमंतरायप्पा ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए उनको बहाल करने का आदेश दिया। 

May 25, 2025 - 14:10
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'मनोरंजन के लिए ताश खेलना नैतिक पतन नहीं', कर्नाटक सहकारी समिति के निदेशक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सहकारी समिति के निदेशक के चुनाव मामले में अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सट्टेबाजी और जुए के बिना मनोरंजन के लिए ताश खेलना नैतिक पतन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जुआ खेलते पकड़े जाने पर सहकारी समिति के निदेशक पद से हटाए गए युवक को बहाल करने को आदेश दिया। 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कर्नाटक के गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी इंपलाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के निदेशक मंडल में निर्वाचित हनुमंतरायप्पा वाईसी पर बिना किसी सुनवाई के कथित तौर पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जब वे कुछ लोगों के साथ सड़क किनारे बैठकर ताश खेलते पकड़े गए।

पीठ ने कहा कि हमें नहीं लगता कि हनुमंतरायप्पा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में नैतिक पतन शामिल है। क्योंकि नैतिक पतन तब माना जाएगा जब कोई कार्य भ्रष्टता के साथ किया गया हो। पीठ ने कहा कि हनुमंतरायप्पा आदतन जुआरी नहीं थे। ताश खेलने के कई रूप हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि हर तरह से ताश खेलने से नैतिक पतन होता है। खासकर जब इसे मनोरंजन के तौर पर खेला जाता है। हमारे देश के अधिकांश हिस्सों में जुआ या शर्त के बिना सरल तरीके से ताश खेलना एक गरीब आदमी के मनोरंजन का स्रोत माना जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हनुमंतरायप्पा को सहकारी समिति के निदेशक मंडल में सर्वाधिक मतों से चुना गया था और उनके निर्वाचन को रद्द करने की सजा उनके द्वारा किए गए कथित कदाचार की प्रकृति के अनुपात में ठीक नहीं है।  पीठ ने 14 मई के आदेश में कहा कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि हनुमंतरायप्पा के खिलाफ की गई कार्रवाई को बरकरार नहीं रखा जा सकता। इसलिए अपील स्वीकार की जाती है।

कोर्ट ने सहकारी समिति के निदेशक पद से हनुमंतरायप्पा को हटाने के निर्णय को बरकरार रखने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के साथ-साथ कर्नाटक सहकारी समिति अधिनियम, 1959 के तहत अधिकारियों द्वारा पारित आदेश को रद्द किया जाता है और सरकारी पोर्सिलेन फैक्टरी कर्मचारी आवास सहकारी समिति लिमिटेड के निदेशक मंडल में हनुमंतरायप्पा का चुनाव तब तक बहाल किया जाता है जब तक वह अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर लेते।

हनुमंतरायप्पा वाईसी सबसे अधिक वोट हासिल करके  को कर्नाटक के गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी इंपलाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के निदेशक चुने गए थे। चुनाव हारने वाले रंगनाथ बी ने सहकारी समितियों के संयुक्त रजिस्ट्रार से चुनाव को लेकर शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि हनुमतंरायप्पा को जुआ खेलने के मामले में नैतिक पतन के अपराध का दोषी ठहराया गया था। इसके बाद कर्नाटक सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1959 के मद्देनजर उनके चुनाव को रद्द कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने भी उनके निर्वाचन को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद हनुमंतरायप्पा ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

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