जयगुरुदेव मेला में हुई बिना दहेज के एक दर्जन शादियां, सत्गुरु की तलाश कर जीवन को सफल बनाये: बाबूराम

मथुरा (आरएनआई) जयगुरुदेव आश्रम में चल रहे वार्षिक भण्डारा सत्संग मेला के चौथे दिन राष्ट्रीय उपदेशक द्वय बाबूराम ने कहा कि कि सुरत शब्द योग की साधना सन्तमत की साधना है। सारी आत्मायें आकाशवाणी, देववाणी, शब्द पर उतार कर लाई गई। अब उसका सम्बन्ध शब्द से टूट गया। जब प्रभु की प्राप्ति करने वाले संत सत्गुरु मिल जायेंगे तो साधना का रास्ता बता देंगे। साधना करके आत्मा जिसे संतों ने सुरत कहा, नाम यानि शब्द को पकड़ कर अपने सच्चे घर सतलोक पहुंच जायेगी। फिर जन्म-मरण खत्म हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि सन्त सत्गुरु की तलाश कर जीवन को सफल बनाने की जरूरत है। महात्माओं के पास सब प्रकार का खजाना होता है वह जीवात्माओं के कल्याण का लक्ष्य लेकर आते हैं। वे समझाते हैं कि दुनिया नाशवान है। इसे ध्यान में रखना चाहिये। अपना लोक-परलोक दोनों बनाना चाहिये।
सतीश चन्द्र ने ‘‘दिल का हुजरा साफ कर जाना के आने के लिये’’ पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा जीवात्मा पर जन्म-जन्मान्तरों के कर्मों के आवरण जमा हैं इसे योग रूपी अग्नि से जलाना पड़ेगा। तब मालिक का दर्शन होगा। मन एक है चाहे इसे दुनिया में लगायें या परमार्थ में लगायें। सब आप के अधिकार में है। जिसे आप अपना समझते हैं वे पराये हो जाते हैं अपने सगे तो सन्त सत्गुरु ही हैं। छूआछूत तो खराब कर्मों से होनी चाहिये। अब तक इस अवसर पर अब तक वार्षिक भंडारे मेला में एक दर्जन से अधिक दहेज रहित विवाह भी सम्पन्न हो चुके हैं।
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