उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष मामले में अहम आदेश- अब परीक्षा नहीं, सरकार पांच साल का कार्यकाल पक्का करे
सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्ष के मामले में अहम आदेश पारित किया है। कोर्ट ने कहा है कि अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए कोई परीक्षा नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को 5 साल का कार्यकाल सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य आयोग के अध्यक्ष, राज्य आयोग के न्यायिक सदस्यों और जिला आयोग के अध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा और उसके बाद मौखिक परीक्षा की आवश्यकता नहीं होगी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र को उपभोक्ता मंचों में न्यायिक और गैर-न्यायिक सदस्यों के चयन और नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले नए नियमों को चार महीने के भीतर अधिसूचित करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत का यह निर्देश महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में नियुक्तियों और सेवा मामलों के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नए नियमों में ऐसी नियुक्तियों के लिए पांच साल का कार्यकाल निर्दिष्ट करने का प्रावधान शामिल होना चाहिए।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि चयन समिति की संरचना ऐसी होनी चाहिए कि न्यायपालिका के सदस्य बहुमत में हों। इसके लिए चयन समिति में न्यायपालिका से दो सदस्य होंगे, जिनमें से एक अध्यक्ष होगा और तीसरा कार्यपालिका से होगा। इनमें से सभी को मतदान का अधिकार होगा।
राज्य और जिला आयोगों में नियुक्तियों के लिए लिखित परीक्षा परामर्श के बाद ही
पीठ ने कहा, इससे संबंधित सचिव को मतदान के अधिकार के बिना चयन समिति का पदेन सदस्य बनने से नहीं रोका जा सकेगा। पीठ ने कहा, राज्य और जिला आयोगों में नियुक्तियों के लिए लिखित परीक्षा संबंधित राज्य सेवा आयोगों के परामर्श से आयोजित की जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने केंद्र के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया कि जिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता, सेवारत या सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश तक ही सीमित होगी।
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