टोइंग वाहन बना आतंक का पर्याय: किसान से मारपीट, एक लाख से ज्यादा की राशि गिरी, गुस्साए किसानो ने किया पथराव तो जान बचाकर भागे टोइंगकर्मी

गुना (आरएनआई) शहर में नगरपालिका का टोइंग वाहन अब कानून व्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि आमजन पर अत्याचार का प्रतीक बनता जा रहा है। गत शाम को एक बार फिर इसी वाहन के कर्मचारियों की गुंडागर्दी सामने आई, जब अशोकनगर से मंडी आए एक किसान से बीच सडक़ पर मारपीट की गई। टोइंग कर्मियों की इस करतूत ने न सिर्फ एक किसान को शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई, बल्कि उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई 1 लाख से ज्यादा की राशि विवाद में गिर गई । हैरानी की बात यह रही कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी पुलिस ने महज आवेदन लेकर किसान को चलता कर दिया।
घटना शहर के नानाखेड़ी गेट के पास की है। अशोकनगर जिले के ग्राम देवराई से किसान वीरपाल यादव मंडी में उपज बेचने आया था। शाम लगभग 5 बजे उसने अपना ट्रैक्टर एमपी 67-9503 रोड से नीचे खड़ा किया था, तभी ट्रैफिक विभाग का टोइंग वाहन वहां पहुंचा। ट्रैक्टर को हटाने की प्रक्रिया में वाहन में मौजूद कर्मचारियों ने पहले तर्क किया, फिर बात बढ़ते-बढ़ते गाली-गलौज और मारपीट तक जा पहुंची। किसान ने समझाने की कोशिश की, लेकिन टोइंग स्टाफ ने उसकी एक न सुनी और जमकर लात-घूंसे बरसाए। इस बीच किसान के कपड़े फट गए और जेब में रखे 1,02,000 भी गिर गए, जिन्हें वह फसल बेचकर लेकर आया था।
हादसे की जानकारी जैसे ही अन्य किसानों को मिली, तो वे बड़ी संख्या में किसान मौके पर पहुंच गए। आक्रोशित किसानों ने टोइंग वाहन पर पथराव शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख टोइंग कर्मचारी वाहन लेकर भाग निकले। मौके पर पहुंची ट्रैफिक पुलिस ने किसी तरह हालात संभाले और किसानों को शांत कराया। यह पहली बार नहीं है जब टोइंग वाहन को लेकर विवाद हुआ हो। पूर्व में भी नगरवासियों, व्यापारियों और यहां तक कि एंबुलेंस चालकों तक से अभद्रता और जबरन वसूली की शिकायतें सामने आती रही हैं। फिर भी न तो नगरपालिका प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई की और न ही पुलिस ने कभी ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया। इससे टोइंग स्टाफ के हौसले बुलंद हैं, और वे किसी से भी झगड़ा करने में नहीं हिचकते।
इस घटना के बाद किसान वीरपाल यादव ने थाने पहुंचकर पूरी घटना की शिकायत दी और मौके की सीसीटीवी फुटेज की जांच कर आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है। लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी – पुलिस ने सिर्फ आवेदन लेकर उसे लौटा दिया। इससे नाराज किसान में गहरा रोष है। हालांकि बाद में जब मामला तूल पकडऩे लगा, तो टोइंग वाहन के ठेकेदार ब्रजकिशोर धाकड़ ने कर्मचारियों को हटा दिया और सारा दोष व्यापारी पर डाल दिया। उनका कहना है कि किसानों को व्यापारी ने भड़काया था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक ठेकेदार अपनी जिम्मेदारी से बचते रहेंगे और पुलिस इस तरह की गंभीर घटनाओं में सिर्फ आवेदन लेकर आंखें मूंदती रहेगी? टोइंग वाहन अब आम नागरिकों के लिए भय का कारण बन चुका है। अगर प्रशासन ने जल्द ही इस मनमानी पर लगाम नहीं लगाई, तो एक दिन यह व्यवस्था ही कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन जाएगी।-
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