33 वर्षों बाद परिवार से मिले रतन मेघवाल, जिला प्रशासन और समाजसेवियों के प्रयास लाए रंग

गुना (आरएनआई) जिला प्रशासन द्वारा बीनागंज के जयसिंहपुर से मुक्त कराए गए 16 बंधुआ मजदूरों में शामिल रतन मेघवाल की कहानी एक मिसाल बन गई है। 33 वर्षों से अपने परिवार से बिछड़े रतन मेघवाल को अब उनका परिवार वापस मिल गया है। बंधुआ श्रमिक के रूप में मुक्त कराए जाने के पश्चात श्री रतन को शिवपुरी के "अपना घर आश्रम" भेजा गया था, जहां अच्छे वातावरण और निरंतर काउंसलिंग से उनकी स्मृति लौट आई। उन्होंने अपने गांव, परिवार और पुराने जीवन के बारे में जानकारी देना शुरू किया।
जैसे ही समाजसेवी प्रमोद भार्गव को इस बारे में पता चला, उन्होंने यह जानकारी जिला कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल तक पहुंचाई। प्रशासन ने तुरंत आवश्यक कार्रवाई की और परिजनों से संपर्क स्थापित किया। आज, जब उनके भतीजे उन्हें लेने आए, तो कलेक्टर श्री कन्याल स्वयं मौजूद रहे और उन्होंने भावुक क्षणों में रतन मेघवाल को माला पहनाकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कलेक्टर श्री कन्याल ने कहा – "आज का दिन केवल रतन जी और उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। यह साबित करता है कि कोई भी व्यक्ति कभी भी न्याय और अपने अधिकारों तक पहुंच सकता है, बशर्ते उसके लिए हम सभी एकजुट होकर प्रयास करें। रतन जी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा, पर आज से यह एक नई शुरुआत है – अब वे अपने परिवार के साथ गरिमा, स्नेह और सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करेंगे। जिला प्रशासन सदैव ऐसे जरूरतमंदों के साथ खड़ा है।"
श्री रतन के भतीजे ने बताया कि वे 1992 से लापता थे और दिल्ली में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। इतने वर्षों तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। वरदान सेवा समिति, जो पिछले तीन वर्षों से जिला प्रशासन के साथ मिलकर कार्य कर रही है, उनकी भूमिका इस पूरे प्रकरण में सराहनीय रही। इस पुनर्मिलन ने सभी की आंखों में आंसू और दिलों में उम्मीद जगा दी।
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