सीसीपी नेताओं से राहुल गांधी की मुलाकात पर भाजपा ने उठाए सवाल, अमित मालवीय ने पूछा- आप किसकी तरफ
मालवीय ने दावा किया कि 'सीसीपी प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार को भी शांति वार्ता के लिए संघर्षविराम के लिए जोर लगाना चाहिए। राहुल गांधी ने भी कथित तौर पर इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।'

नई दिल्ली (आरएनआई) राहुल गांधी ने हाल ही में कॉर्डिनेशन कमेटी फॉर पीस (CCP) के सदस्यों से मुलाकात की। भाजपा ने इस पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में राहुल गांधी के सीसीपी नेताओं से मुलाकात पर शंका जाहिर की। उन्होंने लिखा कि 'ऐसे समय में जब भारत नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में राहुल गांधी का माओवादी समूह के शुभचिंतकों से मिलना, परेशान करने वाला है।'
अमित मालवीय ने लिखा कि 'सुरक्षाबल नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कगार चला रहे हैं, जिसमें सीपीआई (माओवादी) कैडर को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में कथित शांति समन्वय समिति (कॉर्डिनेशन कमेटी फॉर पीस) द्वारा कांग्रेस के समर्थन से सुरक्षाबलों और माओवादी उग्रवादियों के बीच संघर्ष विराम की कोशिश की जा रही है। सीसीपी के प्रतिनिधिमंडल ने 9 मई को नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। सीसीपी प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि सरकार माओवादी विरोधी ऑपरेशन के जरिए आदवासी समुदाय को निशाना बना रही है। उन्होंने राहुल गांधी से दखल देने और संघर्षविराम कराने की अपील की है।'
मालवीय ने दावा किया कि 'सीसीपी प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार को भी शांति वार्ता के लिए संघर्षविराम के लिए जोर लगाना चाहिए। राहुल गांधी ने भी कथित तौर पर इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।' भाजपा नेता बताया कि सीसीपी के प्रतिनिधिमंडल में कविता श्रीवास्तव, रिटायर्ड प्रोफेसर जी हरगोपाल, रिटायर्ड जस्टिस चंद्र कुमार, भारत बचाओ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. एमएफ गोपीनाथ, झारखंड जन अधिकार महासभा के दिनेश मुर्मू और लेखक मीना कांदासामी शामिल हैं। अमित मालवीय ने दावा किया कि यह शांति समन्वय समिति हाल ही में दिल्ली में गठित की गई और इसका उद्देश्य सरकार और सीपीआई नेतृत्व के बीच शांति वार्ता कराना है।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए पूछा कि मिस्टर गांधी, जब हमारे सुरक्षाबल अपनी जान की बाजी लगाकर हिंसक उग्रवाद को तबाह करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में आप उनका साथ दे रहे हैं। आप वास्तर में किसकी तरफ हैं? देश को रक्षकों की तरफ या प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन की तरफ। आपकी क्या प्राथमिकताएं हैं?
गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन कगार का उद्देश्य नक्सलियों को खत्म करना और माओवाद की राजनीतिक विचारधारा को खत्म करना है। इस अभियान में उन माओवादियों को भारी नुकसान हुआ है जिन्होंने सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया है। इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गए हैं।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?






