'पाकिस्तान से आकर भारतीयों को निशाना बनाएंगे तो चुकानी पड़ेगी भारी कीमत', थरूर की दो टूक
थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में सरफराज अहमद (झामुमो), गंटी हरीश मधुर बालयोगी (तेदेपा), शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा), भुवनेश्वर कलिता (भाजपा), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भाजपा) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल शनिवार को न्यूयॉर्क पहुंचा और यहां से गुयाना जाएगा। यह 3 जून को अमेरिका वापस लौटेगा।

वॉशिंगटन (आरएनआई) कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि पहलगाम हमलों के बाद अब एक नया नियम बनने जा रहा है कि पाकिस्तान में बैठे किसी भी व्यक्ति को यह मानने की अनुमति नहीं दी जाएगी कि वे सीमा पार कर सकते हैं और बिना किसी सजा के भारतीय नागरिकों की हत्या कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी होगी।
शशि थरूर गुयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राजील और अमेरिका में भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प को दुनिया के सामने लाएगा और पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों की पोल खोलेगा। अलग-अलग देशों का दौरा करने वाला बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष पहलगाम आतंकी हमले से शुरू हुआ था, न कि ऑपरेशन सिंदूर से, जैसा कि इस्लामाबाद ने आरोप लगाया है। भारत की ओर से शुरू किए गए जवाबी ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था।
इस बीच शनिवार को यहां भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख सदस्यों और प्रमुख मीडिया और थिंक टैंक के शख्सियतों के एक चुनिंदा समूह के साथ बातचीत में थरूर ने कहा कि पाकिस्तान को भारत का संदेश स्पष्ट है- 'हम कुछ भी शुरू नहीं करना चाहते थे।' उन्होंने कहा कि हम सिर्फ आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे। आपने शुरू किया, हमने जवाब दिया। अगर आप रुकेंगे, तो हम रुकेंगे और वे रुक गए। 88 घंटे तक संघर्ष चला। हम उस पर बहुत निराशा के साथ पीछे देखते हैं, क्योंकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था। लोगों की जान चली गई। साथ ही हम इस अनुभव को दृढ़ निश्चय और नए सिरे से दृढ़ संकल्प के साथ देखते हैं।
उन्होंने कहा कि अब एक नया मानदंड बनना चाहिए। पाकिस्तान में बैठे किसी भी व्यक्ति को यह मानने की अनुमति नहीं दी जाएगी कि वे सीमा पार करके हमारे नागरिकों को बिना किसी सजा के मौत के घाट उतार सकते हैं। थरूर ने कहा, 'इसकी कीमत चुकानी होगी और यह कीमत व्यवस्थित रूप से बढ़ती जा रही है।'
थरूर ने 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह हमले के बारे में विस्तार से बात की। हमले में एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिक मारे गए थे। इसकी जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट ने जिम्मेदारी ली और फिर वापस ले लिया। उन्होंने उस कायरतापूर्ण तरीके पर प्रकाश डाला, जिसमें पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए बदला लिया। उन्होंने कई आतंकी हमलों का जिक्र किया, जिसमें 26/11 मुंबई आतंकी हमलों से लेकर उरी और पुलवामा में हुए हमलों तक शामिल है। इन्हें पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने भारत में अंजाम दिया था।
थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि हम अभी भी पूरी तरह स्पष्ट हैं कि हम पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिलचस्पी नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा, 'हम अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और अपने लोगों को 21वीं सदी की दुनिया में भेजने के लिए अकेले रहना पसंद करेंगे। हमें पाकिस्तानियों के पास जो कुछ भी है, उसे पाने की कोई इच्छा नहीं है। दुख की बात है कि हम एक यथास्थितिवादी शक्ति हो सकते हैं। वे नहीं हैं। वे एक संशोधनवादी शक्ति हैं। वे भारत के क्षेत्र को पाना चाहते हैं और वे इसे किसी भी कीमत पर इसे हासिल करना चाहते हैं। अगर वे इसे पारंपरिक तरीकों से हासिल नहीं कर सकते, तो वे इसे आतंकवाद के माध्यम से हासिल करने के लिए तैयार हैं। यह हमें स्वीकार्य नहीं है। यही संदेश हम इस देश और अन्य जगहों पर आप सभी को देने के लिए यहां हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय डोजियर देने, प्रतिबंध समिति को शिकायत करने, कूटनीति से लेकर हर तरह की कोशिश की है। उन्होंने कहा, 'हर तरह की कोशिश की गई है। पाकिस्तान इनकार करता रहा है। आतंकवादियों को बिल्कुल भी दोषी नहीं ठहराया गया, उन पर कोई मुकदमा नहीं चलाया गया, उस देश में आतंकवादी ढांचे को खत्म करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और सुरक्षित ठिकानों की मौजूदगी जारी रही। तो हमारे दृष्टिकोण से यही है। आप जैसा करते हैं, वैसा आपको वापस मिलेगा। हमने इस ऑपरेशन के साथ यह दिखाया है कि हम इसे एक हद तक सटीकता और संयम के साथ कर सकते हैं, जिसे हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया समझेगी। हमें आत्मरक्षा का अधिकार है। हमने उस अधिकार का प्रयोग किया है। हमने ऐसा गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नहीं किया है। यही वह संदेश है जो मैं आज आप सभी को देना चाहता था।
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