लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामले समाज के लिए चिंताजनक - राज लाली गिल, कहा कि आयोग पर किसी भी प्रकार का कोई राजनीतिक दबाव नहीं है

पंजाब राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल ने महिलाओं के मुद्दों की सुनवाई के लिए अमृतसर में लोक अदालत का आयोजन किया। (सुरेश रहेजा, परवीन कुमार, चंद्र मोहन, साहिल रहेजा)

May 25, 2025 - 22:12
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लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामले समाज के लिए चिंताजनक - राज लाली गिल, कहा कि आयोग पर किसी भी प्रकार का कोई राजनीतिक दबाव नहीं है

अमृतसर (आरएनआई) पंजाब राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन राज लाली गिल ने आज अमृतसर पुलिस लाइन में खुला दरबार लगाकर महिलाओं की समस्याएं सुनीं और पुलिस अधिकारियों को मौके पर ही शिकायतों का समाधान करने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि आज की लोक अदालत में आयोग ने 35 मामलों की सुनवाई की तथा 30 से अधिक प्राप्त मामलों की मौके पर सुनवाई भी की।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि आयोग हर जिले में जाकर महिलाओं की समस्याओं का समाधान करेगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित महिलाएं मोहाली स्थित आयोग तक नहीं पहुंच पाती हैं, इसलिए आयोग उनकी समस्याओं को सुनने के लिए जिलों में जन सुनवाई का आयोजन करता है तथा मौके पर ही उनकी शिकायतों का समाधान करने का प्रयास करता है। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आयोग पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं है तथा आयोग निष्पक्षता से मामलों की जांच करता है।

 
श्रीमती राज लाली गिल ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते मामले हमारे समाज के लिए चिंताजनक हैं। महिलाओं की समस्याओं को सुनने तथा उन्हें न्याय दिलाने के लिए यहां पुलिस लाइन में आयोजित लोक अदालत में बोलते हुए राज लाली गिल ने कहा कि लड़के-लड़कियां तथा यहां तक ​​कि कई विवाहित पुरूष-महिलाएं भी लिव-इन रिलेशनशिप की बुराई की ओर धकेले जा रहे हैं जो हमारे समाज को कीड़े की तरह खा रही है, जिससे बचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कानून में संशोधन के लिए राज्य सरकार को पत्र लिख रहे हैं।

चेयरपर्सन राज लाली गिल ने इस लोक अदालत के दौरान लगभग 35 मामलों की सुनवाई करते हुए पुलिस जांच अधिकारियों को अधिकांश मामलों की दोबारा जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य महिला आयोग का मानना ​​है कि किसी भी पीड़ित महिला की पूरी सुनवाई होनी चाहिए तथा उसे समयबद्ध तरीके से न्याय मिलना चाहिए। राज लाली गिल ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि महिला आयोग महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के मामले में काफी सख्त है, इसलिए किसी भी आम व्यक्ति को महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। आयोग पर राजनीतिक दबाव के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि आयोग किसी पर दबाव नहीं बनने देता तथा सभी मामलों में मध्यस्थता की भूमिका निभाकर बिना किसी राजनीतिक या अन्य दबाव के पारदर्शी तरीके से पीड़ितों को न्याय दिलाने का लक्ष्य पूरा कर रहा है।

अध्यक्ष लाली गिल ने कहा कि मार्च 2024 में उनके पदभार ग्रहण करने के बाद से अब तक 2,500 से अधिक मामले सुनवाई के लिए आए हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत का समाधान हो चुका है। उन्होंने कहा कि आज विवाह सम्बन्ध, सम्पत्ति सम्बन्धी, एन.आर.आई. विवाह, दहेज, लड़कियों और महिलाओं का शोषण, लिव-इन रिलेशनशिप, घरेलू हिंसा आदि से संबंधित मामले उनके ध्यान में लाए गए।

राज लाली गिल ने कहा कि वर्तमान में छोटी-छोटी बातों पर असहिष्णुता और सहनशीलता की कमी के कारण परिवारों में तनाव और संघर्ष बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रमों की संख्या में वृद्धि भी हमारे समाज के लिए चिंताजनक है। लोक अदालत में चेयरपर्सन के साथ आयोग के उपनिदेशक निखिल अरोड़ा, एसडीएम खुशप्रीत सिंह व अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे।

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