अत्यंत सहज, सरल व परोपकारी संत थीं माता आनंद सरस्वती महाराज : राज्य मंत्री सुरेंद्र चौधरी
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन (आरएनआई) हरिवंश नगर स्थित आनंद भवन आश्रम में मां आनन्द सरस्वती सेवा संस्थान के द्वारा ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती महाराज का द्वि-दिवसीय तृतीय पुण्यतिथि महोत्सव अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।जिसके अंतर्गत अखंड रामायण, गुरु चरण पादुका पूजन, हवन पूर्णाहुति व संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के आयोजन भी संपन्न हुए।इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की संसदीय अध्ययन समिति के सभापति (दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री) सुरेन्द्र चौधरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साध्वी माता आनंद सरस्वती महाराज अत्यंत सहज, सरल व परोपकारी संत थीं।वे नर सेवा को नारायण सेवा मानती थीं।उन जैसी पुण्यात्माओं से ही पृथ्वी पर धर्म और अध्यात्म का अस्तित्व है।
मां आनंद सरस्वती सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत ब्रजानंद सरस्वती महाराज एवं पुजारी स्वामी ओंकार दास महाराज ने कहा कि हमारी सदगुरुदेव माता आनंद सरस्वती प्रख्यात संत स्वामी चंद्रशेखरानंद सरस्वती की प्रमुख शिष्या थी। वह अपने अखाड़ा व सम्प्रदाय के उन्नयन व संवर्धन के लिए आजीवन कृत संकल्पित रहीं।
राधेश्याम शरण महाराज एवं राम मन्दिर के महंत स्वामी रघुनाथ दास महाराज ने कहा कि माता आनंद सरस्वती ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद महाराज की परम्परा की अत्यंत विद्वान संत थीं। वह दशनामी सन्यासी सरस्वती सम्प्रदाय से दीक्षित थीं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि माता आनंद सरस्वती श्रीमद्भागवत व श्रीराम चरित्र मानस की यशस्वी प्रवक्ता थी। उन्हें कई धर्म ग्रंथ कंठस्थ थे,जिनका वह दैनिक प्रवचन किया करती थीं।
ट्रस्ट के उपाध्यक्ष चुन्नी लाल वार्ष्णेय एवं कोषाध्यक्ष अनिल कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि ब्रह्मलीन माता आनंद सरस्वती धर्म व अध्यात्म के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में भी अग्रणीय थीं। उन्होंने निर्धनों, निराश्रितों, अपहिजों व विधवाओं आदि की अत्यधिक मदद की। उनके द्वारा स्थापित वृद्धाश्रम व गौशाला आदि समाजसेवा के क्षेत्र में निरन्तर कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर उमेश द्विवेदी (MLC), हंशराज विश्वकर्मा (MLC), किरण पाल कश्यप (MLC), योगेश प्रताप (MLA), हरिनिकुंज आश्रम के महंत अमनदीप महाराज, महन्त शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज, महंत रामदेव चतुर्वेदी, महन्त बाबा संतदास महाराज, महंत रमणरेती दास महाराज, स्वामी गंगानंद महाराज (कोतवाल) डॉ. राधाकांत शर्मा, महेश गौतम, श्रीमती सुजैन आनंद, अमित दीक्षित आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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