बांकेबिहारी कॉरिडोर बनने से  भाजपा का उद्धार, या अयोध्या की तरह होगा चमत्कार

May 16, 2025 - 18:06
May 16, 2025 - 18:20
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बांकेबिहारी कॉरिडोर बनने से  भाजपा का उद्धार, या अयोध्या की तरह होगा चमत्कार

मथुरा (आरएनआई) तीर्थ नगरी वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रास्ता साफ कर दिया इसे लेकर भाजपाई खेमा प्रफुल्लित है। दरअसल यह कॉरिडोर अब भाजपा के मिशन 2027 के एजेंडे को धार देगा। पिछले साल मथुरा में हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दस दिवसीय बैठक में यह अहम मुद्दा था और इस मामले पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने मथुरा आकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने के बाद से ही ब्रज की फिजा में एक नारा जोरशोर से तैर रहा है। आ गए हैं अवध बिहारी, अब आएंगे कृष्ण मुरारी। इसके दो मायने निकाले जाते रहे हैं। एक, श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भी अयोध्या की ही तरह श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर निर्माण। दूसरा, बांके बिहारी कॉरिडोर को अयोध्या की तर्ज पर ही भव्य रूप प्रदान करना। हालांकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद ही इसकी तैयारियां पर भी मथुरा में जोरशोर से शुरू हो गई थीं पर इसकी असली आवाज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद ही उठी। तभी से स्थानीय स्तर से लेकर सरकार स्तर तक और अदालत में इसके फैसलों पर सभी की निगाह लगी थी।

पिछले साल अक्तूबर माह में मथुरा के परखम में आरएसएस की दस दिवसीय बैठक हुई थी। बैठक में संघ के सभी आला पदाधिकारियों ने भाग लिया था। आरएसएस प्रमुख डा. मोहन भागवत भी इस बैठक शामिल हुए थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां आकर संघ प्रमुख से लंबी वार्ता की और बेहद खुश अंदाज में वह यहां से रवाना हुए थे। यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होना है। इस बैठक में मिशन-2027 पर मंथन अहम बिंदु रहा था। दरअसल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद अब संघ और भाजपा दोनों के ही एजेंडे में मथुरा है। मथुरा में बांके बिहारी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला दो प्रमुख मामले हैं और दोनों ही अदालत में थे। इनमें से एक बांके बिहारी कॉरिडोर पर अब रास्ता साफ होने से भाजपा के इस एजेंडे को नई धार मिलने वाली है।

लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम चौंकाने वाला आया। भाजपा को कई सीटोें पर झटका लगा। सबसे ज्यादा झटका फैजाबाद मंडल की सभी सीटों पर लगा और भाजपा ये सीटें हार गई। बावजूद इसके कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ था और भाजपा इसके अपना तुरुप का पत्ता मान रही थी। भले ही देश भर में इसकी गूंज रही हो पर अयोध्या में तो इसका जादू चला ही नहीं। यही कारण था कि भाजपा थिंक टैंक इस पर मंथन कर रहा था कि कहीं मथुरा में बांके बिहारी कॉरिडोर पर खेला गया दांव भी दगा न दे जाए। विरोध के सुर भी लगातार उठते रहे हैं। आरएसएस की बैठक में भी इस पर मंथन हुआ था लेकिन उसमें यह बात भी रखी गई कि भाजपा अपने मूल हिंदुत्व के एजेंडे से दूर खिसकी। इसलिए ही लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुरूप यूपी परिणाम नहीं आया। खास तौर से यूपी में झटका लगा। ऐसे में यही तय हुआ था कि अपने एजेंडे पर पार्टी बरकरार रहेगी और बांके बिहारी और जन्मभूमि दोनों ही मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट रखेगी।

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कॉरिडोर बनने के बाद सभी को बेहद सुख अनुभूति होगी : हेमामालिनी
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केवल वृंदावन ही नहीं बल्कि देश भर के सभी श्रद्धालुओं के लिए बेहद अच्छा है। इस निर्णय से यहां के सेवायत और इससे प्रभावित होने वाले लोगों को कोई भी नुकसान नहीं होने दिया जाएग। विश्वास कीजिए, रिडोर बनने के बाद आने वाले लोगों को अयोध्या और काशी की तरह ही बेहद सुखद अनुभूति होगी।

वहीं कुछ वृन्दावन के निवासी इस पर अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, वृन्दावन के तीर्थ पुरोहित, एवं पड़ा समाज इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दिखाई दे रहे है उनके द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि अपने दिए गए फैसले पर एक बार पुनर्विचार करें।
कुछ लोगों का कहना है जिस प्रकार भाजपा सरकार ने हठ पूर्वक अयोध्या में मंदिर निर्माण के समय लोगों की भावनाओं का अनादर किया जिसके परिणाम स्वरूप लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार से पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है वही हाल मथुरा में भी देखने को मिल सकता है, समय रहते भाजपा को वृन्दावन के नागरिकों की भावना को समझते हुए कार्य करने का विचार करना चाहिए।


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