फिर बढ़ी पाकिस्तान की मुसीबत, विश्व बैंक ने लाद दीं कई शर्तें

विश्व बैंक ने इस्लामाबाद को सांविधानिक आदेशों के साथ एक राष्ट्रीय राजकोषीय नीति अपनाने को कहा है। उसने विभिन्न संघीय-प्रांतीय राजस्व एजेंसियों को जीएसटी संग्रह एजेंसी में विलय करने, अगले वित्तीय बजट में कृषि, पूंजीगत लाभ तथा रियल एस्टेट पर प्रभावी ढंग से कर लगाने की शर्तें भी लादी हैं।

Apr 9, 2024 - 07:14
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फिर बढ़ी पाकिस्तान की मुसीबत, विश्व बैंक ने लाद दीं कई शर्तें

इस्लामाबाद (आरएनआई) पाकिस्तान में चौंका देने वाले आर्थिक संकट से उबरने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष  के साथ जारी बेलआउट वार्ता के बीच, विश्व बैंक ने भी नई शर्तें लादी हैं। विश्व बैंक ने क्षेत्र-आधारित छूट, मालिक-कब्जेदार छूट व अनिवासी छूट जैसी सब्सिडी घटाने समेत संघीय व प्रांतीय खर्चों की एकीकृत राष्ट्रीय राजकोषीय नीति अपनाने का दबाव भी डाला है। इन्हें पूरा करने पर पाकिस्तान में महंगाई चरम पर होगी।

विश्व बैंक ने इस्लामाबाद को सांविधानिक आदेशों के साथ एक राष्ट्रीय राजकोषीय नीति अपनाने को कहा है। उसने विभिन्न संघीय-प्रांतीय राजस्व एजेंसियों को जीएसटी संग्रह एजेंसी में विलय करने, अगले वित्तीय बजट में कृषि, पूंजीगत लाभ तथा रियल एस्टेट पर प्रभावी ढंग से कर लगाने की शर्तें भी लादी हैं। डॉन न्यूज के मुताबिक, इनके लिए पाकिस्तान को कड़े वित्तीय फैसले लेने होंगे। विश्व बैंक ने पाकिस्तान सरकार को यह भी कहा कि वह संघीय और प्रांतीय स्तरों पर नए राजकोषीय उत्तरदायित्व और ऋण सीमा अधिनियम को लागू करे। इन सुझावों के आईएमएफ कार्यक्रम का हिस्सा बनने की उम्मीद है, जिस पर पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब अगले सप्ताह वाशिंगटन में विश्व बैंक-आईएमएफ की बैठकों में ऋणदाता के साथ चर्चा करेंगे। बैंक ने फेडरेशन और उसकी संघीय इकाइयों में जीएसटी सामंजस्य पर ठोस प्रगति की मांग रखी है। 

विश्व बैंक ने प्रशासनिक जटिलता को कम करने के लिए सभी जीएसटी संग्रह जिम्मेदारियों को एक ही निकाय के साथ समेकित करने का सुझाव दिया, जो सांविधानिक प्रावधानों के अनुसार राजस्व दे सकती है। वर्तमान में, जीएसटी ज्यादातर वस्तुओं और कुछ सेवाओं पर संघीय राजस्व बोर्ड द्वारा एकत्र किया जाता है, जबकि कुछ सेवाओं पर जीएसटी एकत्र करने के लिए समान राजस्व बोर्ड प्रांतों में काम कर रहे हैं।

जहां तक शहरी अचल संपत्ति कर का सवाल है, विश्व बैंक ने मुद्रास्फीति, बीमा मूल्यांकन और बिक्री रिकॉर्ड के आधार पर मूल्यांकन तालिकाओं के आवेदन की मांग की है। साथ ही, कब्जाधारी और किराये की दरों को बराबर करने की भी शर्त रखी है। विश्व बैंक चाहता है कि अधिकारी क्षेत्र-आधारित छूट, मालिक-कब्जेदार छूट व अनिवासी छूट जैसी सब्सिडी घटाएं तथा संघीय आयकर व शहरी अचल संपत्ति कर को एकीकृत करें। यह शर्त आम लोगों पर काफी भारी पड़ेगी।

विश्व बैंक ने कृषि आयकर के लिए, सरकार से भूमि क्षेत्र की परिभाषा को सुसंगत बनाने, भूमि जोत के आकार के आधार पर छूट पर पुनर्विचार करने और फसल के रकबे या उत्पादन अनुमान के आधार पर सामान्य न्यूनतम दरें निर्धारित करने को कहा है। इससे किसान प्रभावित होगा।

विश्व बैंक कम उपयोग वाले स्रोतों से राजस्व जुटाने के लिए निर्णायक कार्रवाई चाहता है। इसमें 2010 के 7वें राष्ट्रीय वित्त आयोग के अधूरे एजेंडे से संबंधित शहरी अचल संपत्ति कर, कृषि आय कर और पूंजीगत लाभ कर आदि शामिल हैं। इसके तहत, प्रांतों को अधिक संघीय पूल संसाधन देते समय, कर-से-जीडीपी अनुपात को 15% तक बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों को कर दायरे में लाने पर सहमति हुई थी, लेकिन सौदा कमजोर प्रारूप में तैयार किया गया। अब यदि विश्व बैंक की यह शर्त मानी गई तो खाद्य वस्तुओं समेत संपत्ति तक हर चीज महंगी हो जाएगी। पाकिस्तान में पहले ही कई चीजों के दामों पर आईएमएफ की शर्तों का असर पड़ा है। यदि विश्व बैंक की शर्तें भी मानी गईं तो महंगाई आसमान पर आ जाएगी।

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