मोर्चे पर डटीं हजारों महिलाएं, हर तरह से दे रही सहयोग

केंद्र से चौथे दौर की बैठक से पहले पटियाला के शंभू बॉर्डर पर माहौल शांतिपूर्ण है। युवाओं के जोश और बुजुर्गों के हौसले को बड़ी संख्या में महिलाओं का साथ मिल रहा है। वह लगातार मोर्चे पर डटी हैं। कुछ महिलाएं बच्चों को भी साथ ले आईं हैं। झड़प में घायल किसान इलाज करवाकर वापस मोर्चे में शामिल हो रहे हैं। 

Feb 18, 2024 - 09:09
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मोर्चे पर डटीं हजारों महिलाएं, हर तरह से दे रही सहयोग

पटियाला (आरएनआई) किसानों का कहना है कि बैठक में मांगों का हल हो गया तो ठीक है, वरना मोर्चा फतेह करके ही घरों को लौटेंगे। बॉर्डर पर लगातार किसानों की गिनती बढ़ रही है। बॉर्डर से पहले करीब पांच किलोमीटर तक सड़क हजारों ट्रैक्टर-ट्रालियों से पट गई है। इनकी संख्या सात हजार के करीब बताई जा रही है।

मोर्चे में केवल पंजाब के ही नहीं, बल्कि राजस्थान और हरियाणा के भी किसान जुटने लगे हैं। पूरा दिन बॉर्डर के नजदीक पंजाब पुलिस का कोई भी मुलाजिम तैनात नहीं दिखा। किसान नेताओं के वॉलंटियर ही मोर्चा संभालते दिखे। ये वॉलंटियर नौजवानों से लगातार अपील करते दिखे कि वह बॉर्डर की तरफ न जाएं। बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले लगाई रस्सी पर भी ड्यूटी देते रहे। शुक्रवार को कुछ नौजवान इस रस्सी को फांदकर आगे चले गए थे। इसके बाद हरियाणा की तरफ से काफी आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे, इससे माहौल दोबारा से तनावपूर्ण बन गया था।

किसानों ने अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों को मॉडीफाई करके इसे अस्थायी ठहराव बना रखा है। इसमें लंगर बनाने के लिए राशन से लेकर सब्जियां, गद्दे, कंबल व अन्य सभी जरूरत का सामान रखा है। नौजवानों से लेकर बुजुर्ग सभी आयु वर्ग के किसान पंजाब के कोने-कोने से मोर्चे में पहुंचे हैं, जिनके हौसले बुलंद हैं। किसानों का कहना है कि यह अस्तित्व की लड़ाई है। वह पीछे नहीं हटेंगे। किसानों का कहना है कि अगर पहले किसानी आंदोलन में मोदी सरकार से लिखित में मांगों संबंधी वादा ले लिया होता, तो आज दूसरी बार संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ी। उम्मीद है कि इस बार लिखित में वादे लिए जाएंगे।

मोर्चे की एक खास बात यह है कि किसानों के हक में बॉर्डर के आसपास लगते गांवों के लोग व गुरुद्वारों से भी कमेटियों के नुमाइंदे सामने आ रहे हैं। गुरदासपुर से पहुंचे किसान जरनैल सिंह, अमृतसर के गांव पंधेर कलां के बलविंदर सिंह 70 ने कहा कि किसानों के पास छह महीने का राशन मौजूद है, लेकिन अब तक लंगर बनाने की जरूरत बहुत कम पड़ी है। गुरुद्वारा कमेटियां व आसपास के ग्रामीण दूध से लेकर सब्जी रोटी, लस्सी, मिठाई, फल व पानी का लंगर लेकर रोज पहुंच रहे हैं।

बेटों की तरफ पाली अपनी फसलों को रब आसरे छोड़कर किसान बड़ी गिनती में शंभू बॉर्डर पहुंच रहे हैं। जिस घर में एक ही पुरुष फसलों को संभालने के लिए हैं, वहां से भी हाजिरी मोर्चे में दर्ज कराई जा रही है। होशियारपुर से पहुंचे परमजीत सिंह ने बताया कि उनके पीछे फसलों को देखने वाला कोई नहीं है। पत्नी भी उनके साथ ही यहां है। कहा कि मौसम की मार भी तो झेलते हैं, इस बार सोच लेंगे कि खेतीबाड़ी को बचाने के लिए फसलें कुर्बान कर दीं, लेकिन अपना हक लेकर ही लौंटेगे।

हरियाणा की तरफ से दागी जा रहीं रबड़ की गोलियों व आंसू गैस के गोलों के मुकाबले महिलाएं झंडे व डंडे के दम पर मोर्चा फतेह करने का जज्बा रखती हैं। इनमें कईं 60 से 80 साल तक की बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं, लेकिन उम्रदराज होने के बावजूद इनमें हौसले की कोई कमी नहीं है। महिलाओं का कहना है कि जब उनके बच्चे, भाई व पति अपने हकों के लिए बॉर्डर पर निहत्थे लड़ रहे हैं तो फिर वह घर कैसे बैठ सकती थीं। इसलिए वह बॉर्डर पर इकट्ठा हो रही हैं और जरूरत पड़ी तो वह खुद आगे होकर मुकाबला करेंगी।

अमृतसर में पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते गांव पंधेर कलां से पहुंची 60 साल की जोगिंदर कौर का कहना है कि मोर्चे के पहले दिन ही वह शंभू बॉर्डर पर अपने गांव की 10 अन्य महिलाओं के साथ यहां पहुंच गई थीं। तब से वह सभी लंगर बनाने में अपना योगदान दे रही हैं, लेकिन बीते तीन-चार दिनों में हरियाणा की तरफ से चलाई जा रही गोलियों व गोलों से काफी गिनती में किसान घायल हो गए हैं। एक किसान ने शहादत पा ली है। इसलिए मौजूदा हालात को देखकर महिलाओं ने अपने हकों की प्राप्ति के लिए बॉर्डर पर डटने का फैसला लिया है।

रोपड़ से 70 साल की सविंदर कौर का कहना है कि उसने अपने गांव में संदेश भेज कर और महिलाओं को भी मोर्चे में जल्द पहुंचने को कहा है। जालंधर से पहुंची 75 साल की कुलविंदर कौर, 60 साल की परमजीत कौर, जसवीर कौर ने कहा कि जब अपने संकट में हों तो फिर घर की महिला कैसे चुप रह सकती है। जैसे ही उन्हें बार्डर पर तनावपूर्ण स्थिति का पता चला, तुरंत यहां मोर्चे में पहुंच गईं। करीब 15 महिलाओं का जत्था पहुंचा है। पंजाब के अलग-अलग हिस्से से महिलाएं अपने घर की चिंता छोड़कर व अपनी सेहत संबंधी किसी भी समस्या को दरकिनार करके मोर्चे में शामिल होने के लिए पहुंच रही हैं। 

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