कान्हा की नगरी में चंहुओर पसरा, अवैध खतरा, इन्हें संरक्षण देने और इनके जरूरी दस्तावेज तैयार करने वालों पर हो सख्त कार्यवाही

मथुरा (आरएनआई) पुलिस और एलआईयू टीम ने नौहझील 68 बांग्लादेशियों को पकड़ा है। ये अवैध रूप से रह रहे थे। यहां ईंट भट्टा पर काम करते थे। पकड़े गए बांग्लादेशियों में 35 पुरुष, 27 महिला, एवं 28 बच्चे शामिल हैं। नौहझील थाना क्षेत्र के खाजपुर गांव में ईंट भट्ठे पर पुलिस ने काम करते हुए पकडा। मथुरा। कान्हा की नगरी अज्ञात खतरे की जद हैं। हालांकि यह खतरा छुपा किसी से नहीं है लेकिन इसे उजागर करने की मंशा भी किसी की नहीं रही है। सफेदपोशों के संरक्षण और दबंगों की दबंगई दोनों मिल कर आम लोगों को इस खतरे को मौल लेने की हिम्मत जुटाने से रोकती है। देखते ही देखते मथुरा जैसी संवेदनशील जगह पर अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या की बस्तियां बस गईं। यह सब अनायास नहीं हुआ। यह खतरा कितना बडा है इससे भी हर कोई वाकिफ है। अवैधरूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या की बस्तियां जमीन के अंदर नहीं बसी हैं और नहीं आंखों से ओझल हैं। यह स्थानीय खुफिया तंत्र या दूसरे इसी तरह के महकमों और हमारी पुलिस की रडार से भी दूर नहीं है। लेकिन इस सब को कई बार दबाव में तो कई बार दूसरी तमाम वजहों से नजर अंदाज किया जाता रहा है। शहरी की अविकसित और बाहरी कॉलोनियों में ये बस्तियां हैं। ये विदेशी आकर खुद नहीं बसा जातेे हैं। आधार कार्ड, राशन कार्ड, सिम कार्ड, मोबाइल यहां तक कि आयुष्मान कार्ड तक की व्यवस्था ये लोग विदेश से आकर यहां खुद नहीं कर लेते हैं। अब तक इस तरह के जितने लोग पकडे गये हैं उनसे यही साबित हुआ है कि ये लोग साधन संपन्न नहीं हैं, नहीं बहुंत पढे लिखे हैं। फिर ये विदेश से यहां आकर बेहद सुनियोजित तरीके से सारी सुविधाएं कैसे जुटा लेते हैं। ऐसा नहीं है कि अवैध बंगलादेशी या रोहिग्या पहली बार पकडे गये हैं। ये कपडे जाते रहे हैं, इनकी पूरी बस्तियां पकडी जाती रही हैं। बावजूद इसके इनके लिए तमाम व्यवस्थाएं करने वाले लोग कभी बेनकाब नहीं हुंए। इससे ये साबित होता है कि इन्हें संरक्षण देने वाले लोग आम आदमी नहीं हैं, वे बेहद खास हैं जिनके आगे सिस्टम भी अपनी हदों में सिमट कर रह जाता है। पिछले एक दशक में मथुरा में कई बार इस तरह के लोग पकडे गये हैं। जेल भेजे गये हैं और सजा पूरी करने के बाद जेल से बाहर भी आए हैं। अब कपडे गये अवैध विदेशियों के साथ भी यही होगा। भट्टा हो, जल निगम, बिजली विभाग से लेकर तमाम दूसरे विभागों के बडे स्तर पर होने वाले कामों में इन अवैध विदेशियों का उपयोग किया जा रहा है। इनके रूप में बेहत सस्ते मजदूर मिल जाते हैं। इन्हें मजदूरी के साथ ही संरक्षरण भी मिल जाता है। ये परिवार के साथ रहते हैं, बस्तियों में महिला पुरूष सब निवास करते हैं। तमाम लागों के दूसरे तामाम काम भी यहां चल जाते हैं। इनके आधार कार्ड, पेन कार्ड बनाने और बनवाले वालों पर कार्यवाही कभी नहीं होती। अवैध दस्तावेज बनाने और बनवाने वालों की पहुंच इतनी होती है कि वह साफ बच निकलते हैं। जब तक इन जडों पर वार नहीं होगा देश सुरक्षित नहीं रहेगा। विदेशी नागरिकों को अवैधरूप से यहां बसाने, संरक्षण देने और उनके तमाम वैध दस्तावेज अवैधरूप से तैयार कराने वालों की मंशा सिर्फ इनसे सस्ती मजदूरी करान भर नहीं है। जब तक देश के अंदर के गद्दारों पर कार्यवाही नहीं होगी। इन्हें सरंक्षण देने वाले सफेदपोश अपनी ताकत का उपयोग कर बचते रहेंगे और भष्ट सिस्टम अपनी जेब भरता रहेगा, यह देश सुरक्षित नहीं रहेगा। जो सदियों से होता रहा है वह अब भी हो रहा है। समय काल बदला है, नीयत जसकी तस है।
पुलिस चला रही सर्च ऑपरेशन
इस बारे में जानकारी देते हुए मथुरा के एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि पुलिस द्वारा सर्च अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत सूचना प्राप्त हुई कि यहां पर अवैध बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं. उनके खिलाफ सर्च अभियान चलाया गया और उनको हिरासत में ले लिया है. उनसे पूछताछ की जा रही है।
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