'मैंने 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोका, इसलिए ईडी ने मुझे गिरफ्तार किया', राउत का दावा

संजय राउत ने कहा कि भाजपा इस बात से आहत है कि उसे 2019 के चुनावों में 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतने के बावजूद विपक्ष में बैठना पड़ा। शिवसेना ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा 2019 में महाराष्ट्र में सरकार न बना पाने का कारण राउत को मानती है।

May 18, 2025 - 13:04
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'मैंने 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोका, इसलिए ईडी ने मुझे गिरफ्तार किया', राउत का दावा

मुंबई (आरएनआई) शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने दावा किया है कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के पीछे मुख्य वजह यह थी कि उन्होंने 2019 में महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता में आने से रोका था। अपनी पुस्तक 'नरकतला स्वर्ग' (नरक में स्वर्ग) में राउत ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि वह उस वर्ष सत्ता में आई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार का सुरक्षा कवच थे। पुस्तक राउत के जेल में बिताए उन अनुभवों के बारे में है, जब ईडी ने उन्हें 2022 में ठाकरे सरकार के गिरने के तुरंत बाद कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। बाद में राउत को जमानत मिल गई थी।

उन्होंने कहा, 'मेरे खिलाफ कार्रवाई के पीछे मुख्य कारण यह था कि मैंने भाजपा को सत्ता में आने से रोका। मैं ठाकरे सरकार के लिए एक सुरक्षात्मक दीवार था।' उन्होंने दावा किया, 'एकनाथ शिंदे सरकार असंवैधानिक तरीकों से बनाई गई थी। शिंदे और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों एक बात पर सहमत रहे होंगे कि अगर सरकार को काम करना है, तो राउत को सलाखों के पीछे होना चाहिए।' 

राउत ने कहा कि भाजपा इस बात से आहत है कि उसे 2019 के चुनावों में 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतने के बावजूद विपक्ष में बैठना पड़ा। शिवसेना ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ हाथ मिला लिया, जिससे भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा 2019 में महाराष्ट्र में सरकार न बना पाने का कारण राउत को मानती है। भाजपा को हमेशा इसका अफसोस रहा है। भाजपा और शिवसेना ने 2019 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। बाद में यह कांग्रेस और (अविभाजित) एनसीपी वाली महा विकास अघाड़ी का हिस्सा बन गई। एमवीए सरकार का नेतृत्व ठाकरे ने किया। 

भाजपा के आलोचक माने जाने वाले राज्यसभा सांसद ने कहा कि पूर्व सहयोगी दल 2019 में उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देख सकता था, इसलिए उसके नेताओं ने उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची। उन्होंने कहा कि सरकार के पास 170 विधायकों का बहुमत होने के कारण यह संभव नहीं था कि उनका 'ऑपरेशन लोटस' सफल हो। यही कारण है कि केंद्रीय एजेंसियां युद्ध के मैदान में उतरीं। 

उन्होंने कहा, 'अनिल देशमुख, नवाब मलिक और संजय राउत को लक्ष्य बनाया गया था।' संघीय एजेंसी ने एक राजनीतिक एजेंडा तय किया था और महाराष्ट्र में गिरफ्तार किए जाने वाले एमवीए नेताओं की एक सूची बनाई थी। किताब में दावा किया गया कि सूची में देशमुख, मलिक और राउत शामिल थे। देशमुख और मलिक दोनों एनसीपी से हैं और ठाकरे सरकार में मंत्री थे। ईडी ने अविभाजित शिवसेना के 40 विधायकों (शिंदे सहित) में से 11 पर शिकंजा कस दिया था, जिन्होंने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था। राउत ने दावा किया कि ईडी अविभाजित शिवसेना के कुछ सांसदों को भी गिरफ्तार करने जा रही थी। 

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