पुणे में इंद्रायणी नदी के किनारे बने 36 अवैध बंगले ध्वस्त, एनजीटी के आदेश पर नगर निगम ने की कार्रवाई
पुणे में रिवर विला परियोजना के खिलाफ एनजीटी में कार्यकर्ता तानाजी गंभीरे ने याचिका दायर की थी। विला का निर्माण इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़ रेखा के किनारे किया गया है, जहां विकास गतिविधियों पर प्रतिबंध है। एनजीटी ने नगर निगम को छह महीने के भीतर इन सभी 36 बंगलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।

पुणे (आरएनआई) पुणे में इंद्रायणी नदी के किनारे बने 36 अवैध बंगलों को नगर निगम ने ध्वस्त कर दिया। पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के अधिकारियों ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर यह कार्रवाई की। ध्वस्तीकरण के दौरान बंगलों के मालिक मायूस नजर आए। नगर निगम कर्मचारियों ने भवनों के ध्वस्तीकरण के दौरान लोगों को हटाया।
पुणे में रिवर विला परियोजना के खिलाफ एनजीटी में कार्यकर्ता तानाजी गंभीरे ने याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि विला का निर्माण इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़ रेखा के किनारे किया गया है, जहां विकास गतिविधियों पर प्रतिबंध है। नीली रेखा 25 साल में एक बार नदी में आने वाली बाढ़ के स्तर को दर्शाती है।
जुलाई 2024 में एनजीटी ने नगर निगम को छह महीने के भीतर इन सभी 36 ढांचों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। साथ ही बंगला मालिकों से पर्यावरण क्षति मुआवजे के तौर पर सामूहिक रूप से पांच करोड़ रुपये वसूलने का भी आदेश दिया था। इसके बाद पीसीएमसी ने प्रक्रिया शुरू की और बंगला मालिकों की सुनवाई शुरू की।
29 बंगला मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद भूमि और बंगला मालिकों ने एनजीटी से अपने आदेश की समीक्षा करने के लिए संपर्क किया। एनजीटी ने भी उनकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी। एनजीटी से कोई राहत नहीं मिलने पर संपत्ति मालिकों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सर्वोच्च न्यायालय ने चार मई को अपील का निपटारा कर दिया था और आदेश दिया था कि पीसीएमसी को बंगलों को गिराने के एनजीटी के आदेश को लागू करे और पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये वसूलने चाहिए।
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