40000 करोड़ रुपये से हथियार, गोला-बारूद खरीद सकेंगे रक्षा बल, सरकार ने दी खरीद को मंजूरी
आपातकालीन खरीद शक्तियों ने रक्षा बलों को सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक पुर्जे और गोला-बारूद खरीदने की अनुमति देकर बड़ी मदद की है। पाकिस्तान में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रैंपेज मिसाइल को भी भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना ने आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत हासिल किया था।

नई दिल्ली (आरएनआई) पाकिस्तान के खिलाफ जारी ऑपरेशन सिंदूर के बीच रक्षा बल 40,000 करोड़ रुपये की लागत से हथियार और गोला-बारूद खरीद सकेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने रक्षा बलों को आपातकालीन खरीद शक्तियों की मंजूरी दी है। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि आपातकालीन शक्तियों के तहत अधिग्रहण को मंजूरी हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की ओर से दी गई। इसमें रक्षा मंत्रालय और सैन्य अधिकारियों के शीर्ष अधिकारियों ने शिरकत की। आपातकालीन शक्तियों के तहत सेना निगरानी ड्रोन, कामिकेज ड्रोन, लंबी दूरी के हथियार और तोपखाने, वायु रक्षा और विभिन्न प्रकार की मिसाइलों तथा रॉकेटों के लिए गोला-बारूद जैसे उपकरण खरीदने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित लक्ष्यों पर ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलों सहित कई अन्य मिसाइलों से हमला किया था। केंद्र सरकार बजटीय आवंटन में सेनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धनराशि देने पर भी विचार कर सकती है। यह मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान वायु सेना को करारा झटका देते हुए उसके 12 में से 11 हवाई ठिकानों पर हमला किया और उनके बुनियादी ढांचे और विमानों को भारी नुकसान पहुंचाया।
जिन उपकरणों के लिए सौदे हो रहे हैं, उन्हें आपातकालीन शक्तियों के तहत सेनाओं को एक निर्धारित समयावधि के अंदर हासिल करना होगा। यह पिछले पांच वर्षों में रक्षा बलों को दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों की पांचवीं किश्त है। सूत्रों ने बताया कि यह खरीद रक्षा वित्त शाखा के वित्तीय सलाहकारों की मदद से सेनाओं की ओर से की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय भी सेनाओं के लिए दीर्घकालिक परियोजनाओं पर काम कर रहा है और वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में उद्योग जगत के नेतृत्व के साथ बैठक कर रहे हैं। मंत्रालय के अधिकारी पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सौर रक्षा एवं एयरोस्पेस सहित निजी उद्योग के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बैठकें कर चुके हैं।
आपातकालीन खरीद शक्तियों ने रक्षा बलों को सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक पुर्जे और गोला-बारूद खरीदने की अनुमति देकर बड़ी मदद की है। पाकिस्तान में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रैंपेज मिसाइल को भी भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना ने आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत हासिल किया था। बाद में सेना ने इन मिसाइलों के लिए बड़ा ऑर्डर दिया और अब इनका उत्पादन देश में ही किया जाएगा। सेना और वायु सेना ने हेरोन मार्क 2 ड्रोन हासिल किए थे। इनका उपयोग ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लाइव ऑपरेशन पर नजर रखने के लिए किया गया था। इन्हें भी केवल आपातकालीन शक्तियों के तहत हासिल किया गया था।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को परिचालन के दौरान ड्रोन का पता लगाने के लिए 10 और निम्न स्तरीय रडारों का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। अधिकारी ने बताया कि ये छह राडार के लिए दिए गए लोकेटर ऑर्डर के अतिरिक्त होगा। ड्रोन निर्माण में लगी कई भारतीय कंपनियों को भी तीनों सेनाओं से ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
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