अजय माकन समेत कुछ कांग्रेस नेताओं ने खोला केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा, आलाकमान से समर्थन नहीं करने का आग्रह किया

पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने दिल्ली से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के विषय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मंगलवार को पार्टी आलाकमान से आग्रह किया कि वह इस मामले में आम आदमी पार्टी एवं केजरीवाल का समर्थन न करें।

May 23, 2023 - 18:45
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अजय माकन समेत कुछ कांग्रेस नेताओं ने खोला केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा, आलाकमान से समर्थन नहीं करने का आग्रह किया
अजय माकन

नयी दिल्ली, 23 मई 2023, (आरएनआई)। पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने दिल्ली से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के विषय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मंगलवार को पार्टी आलाकमान से आग्रह किया कि वह इस मामले में आम आदमी पार्टी एवं केजरीवाल का समर्थन न करें।

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से कहा है कि वह अपनी प्रदेश इकाइयों और समान विचार वाले दलों से बात करने के बाद ही इस बारे में कोई् फैसला करेगी कि अध्यादेश से जुड़े विधेयक का संसद में समर्थन करना है या नहीं।

केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से आग्रह किया है कि वे केंद्र के अध्यादेश से संबंधित विधेयक का संसद में विरोध करें।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष माकन ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल का समर्थन करने का मतलब पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं के उन विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ खड़ा होना होगा जो उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के संदर्भ में कभी लिए थे।

उन्होंने सवाल किया कि अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं?

माकन ने कहा, ‘‘केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी का समर्थन मांगा है। हालांकि, उनकी कुछ पिछली राजनीतिक गतिविधियां सवालों के घेरे में हैं। उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में भाजपा के साथ एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हमारे प्रिय नेता राजीव गांधी जी से भारत रत्न वापस लेने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह भाजपा का समर्थन किया।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘केजरीवाल ने विभिन्न आरोपों पर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने के दौरान भी भाजपा का समर्थन किया। केजरीवाल विवादास्पद किसान विरोधी कानूनों को लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। आम आदमी पार्टी ने गुजरात, गोवा, हिमाचल, असम, उत्तराखंड में भाजपा की मदद की।’’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक हालिया फैसले का पैरा 95 केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करने की अनुमति प्रदान करता है।

माकन ने कहा, ‘‘केजरीवाल का समर्थन करना और अध्यादेश का विरोध करना अनिवार्य रूप से पंडित नेहरू, बाबासाहेब आम्बेडकर, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव के नैसर्गिक विवेक और निर्णयों के विरुद्ध खड़ा होने जैसा होगा।’’

पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केजरीवाल किसी सहानुभूति के हकदार नहीं हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल कांग्रेस से किसी सहानुभूति के हकदार नहीं हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई कर रही है तथा पुलिस एवं जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके उनके जीवन को मुश्किल में डाल दिया है।’’

बाजवा कहा, ‘‘मैं कांग्रेस आलाकमान से अपील करता हूं कि वह आप की मदद करने के बारे में विचार करने से पहले पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक के कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत करे। आप भाजपा की बी टीम है। ये दोनों दल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’

पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और कुछ अन्य नेताओं ने भी आलाकमान से केजरीवाल का समर्थन नहीं करने की अपील की है।

इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘‘कांग्रेस के संगठन महासचिव (के.सी. वेणुगोपाल) ने विस्तृत ट्वीट किया है। पार्टी का अब तक वही रुख है।’’

कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने सोमवार को कहा था कि इस बारे में उनकी पार्टी ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है तथा समान विचार वाले दलों तथा कांग्रेस की राज्य इकाइयों से विचार-विमर्श करके ही कोई फैसला होगा।

केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए शुक्रवार को अध्यादेश जारी किया।

यह उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के एक सप्ताह बाद आया।

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