कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने बीबीएमबी सुरक्षा नियंत्रण में पंजाब के हितों की रक्षा करने में भगवंत मान सरकार की विफलता की कड़ी निंदा की, सरकारी खजाने पर बोझ की निंदा की
(सुरेश रहेजा, परवीन कुमार, चंद्र मोहन, साहिल रहेजा)

चंडीगढ (आरएनआई) पंजाब कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने आज आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार की भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के सुरक्षा नियंत्रण में गंभीर कुप्रबंधन और पंजाब के हितों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए कड़ी आलोचना की।
खैरा ने खुलासा किया कि केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में ही भाखड़ा नंगल बांध सहित बीबीएमबी परियोजनाओं में पंजाब पुलिस की जगह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को तैनात करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, मान सरकार की निष्क्रियता और गलत रणनीति के कारण अब पंजाब इस महत्वपूर्ण ढांचे पर नियंत्रण खो चुका है, जिससे सरकारी खजाने पर हर साल 8.58 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला और अस्वीकार्य है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान, जो पंजाब के जल अधिकारों के रक्षक होने का दावा करते हैं, ने चुपचाप बीबीएमबी की सुरक्षा का नियंत्रण सीआईएसएफ को सौंप दिया है, जो राज्य के हितों के साथ विश्वासघात है।’’
खैरा ने कहा। "केंद्र सरकार का मार्च 2022 का निर्देश, जिसमें पंजाब पुलिस की जगह सीआईएसएफ को लाने की बात कही गई थी, स्पष्ट रूप से नियंत्रण को केंद्रीकृत करने का प्रयास था, लेकिन मान पंजाब के स्वशासन की रक्षा करने में विफल रहे। यह नेतृत्व की एक बड़ी विफलता और पंजाब के संघीय अधिकारों पर सीधा हमला है।"
खैरा ने बताया कि केंद्र के निर्देशानुसार, नंगल डैम पर 296 सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती की वार्षिक लागत 8.58 करोड़ रुपये है, जिसे बीबीएमबी या पंजाब सरकार द्वारा वहन करने को कहा गया है। उन्होंने कहा, "पंजाब के करदाताओं को केंद्र द्वारा लगाए गए इस फैसले का खर्च क्यों उठाना चाहिए, खासकर तब जब पंजाब पुलिस पहले से ही बिना किसी अतिरिक्त लागत के सुरक्षा प्रदान कर रही थी?" खैरा ने सवाल पूछा। यह मान सरकार की अक्षमता का एक और उदाहरण है, जो भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दबाव में झुककर पंजाब को अपनी अक्षमता का वित्तीय बोझ उठाने के लिए मजबूर कर रही है।
कांग्रेस विधायक ने मान के दोहरे मापदंड की भी आलोचना की तथा कहा कि मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से पंजाब के पानी को दूसरी दिशा में मोड़ने के केंद्र के कदमों का विरोध करते हैं, लेकिन वे बीबीएमबी जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं पर नियंत्रण के क्रमिक केंद्रीकरण का विरोध करने में विफल रहे हैं। खैरा ने कहा, "मान सरकार पंजाब के जल अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करती है, लेकिन उनकी हरकतें कुछ और ही कहानी बयां करती हैं। सीआईएसएफ को बीबीएमबी की सुरक्षा का जिम्मा सौंपकर उन्होंने रणनीतिक नियंत्रण केंद्र को सौंप दिया है, जिससे पंजाब का स्वशासन कमजोर हो रहा है।"
खैरा ने अपनी पिछली टिप्पणियों का भी उल्लेख किया, जहां उन्होंने मान सरकार को "झूठे क्रांतिकारी" कहा था। उन्होंने कहा, "वे बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन हर मोड़ पर पंजाब के अधिकारों को खो देते हैं। पंजाब के लोग पारदर्शिता, जवाबदेही और ऐसी सरकार के हकदार हैं जो उनके हितों की दृढ़ता से रक्षा करे, न कि ऐसी सरकार जो केंद्र के हुक्म के आगे झुक जाए।"
इन घटनाक्रमों को देखते हुए, खैरा ने निम्नलिखित मांगें रखीं:
1. बीबीएमबी परियोजनाओं पर सीआईएसएफ की तैनाती तुरंत हटाई जाए तथा इन महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस की भूमिका बहाल की जाए।
2. केंद्र के मार्च 2022 के निर्देश पर कार्रवाई न करने और पंजाब के हितों से समझौता करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा सार्वजनिक माफी मांगी जाए।
3. मार्च 2022 से बीबीएमबी सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में पंजाब सरकार और केंद्र के बीच सभी संचार का पारदर्शी खुलासा।
4. आश्वासन दिया जाए कि पंजाब के खजाने या बीबीएमबी के फंड का उपयोग सीआईएसएफ की तैनाती के लिए नहीं किया जाएगा, जो कि केंद्र के एजेंडे को पूरा करता है, न कि पंजाब की जरूरतों को।
खैरा ने कहा, ‘‘मैं पंजाब के लोगों से इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होने और मान सरकार को उसकी विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराने की अपील करता हूं।’’ हम पंजाब के अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे और कांग्रेस पार्टी सड़कों से लेकर अदालतों तक हर मंच पर पंजाब के हितों की रक्षा के लिए पूरी ताकत से लड़ेगी।
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